चार साल बाद 2015 में देश में कहीं भी मांगने पर ब्रॉडबैंड सेवाएं मिल जाएंगी। 2017 तक 17.5 करोड़ ब्रॉडबैंड कनेक्शन होंगे और 2020 तक यह संख्या 60 करोड़ तक पहुंच जाएगी। तब इन कनेक्शनों पर डाउनलोड की स्पीड कम से कम 2 एमबीपीएस और मांगने पर 100 एमबीपीएस होगी। ये कुछ महत्वाकांक्षी लक्ष्य हैं जिन्हें राष्ट्रीय दूरसंचार नीति 2011 के मसौदे में रखा गया है। सोमवार को नीति का यह मसौदा जारी करते हुए केन्‍द्रीय संचारऔरऔर भी

एक हफ्ते देरी से ही सही, नए ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने शुक्रवार, 29 जुलाई को भूमि अधिग्रहण व पुनर्वास पर नया विधेयक सार्वजनिक बहस के लिए पेश कर दिया। उन्होंने मंत्री बनने के एक दिन बाद 13 जुलाई को एक हफ्ते में ऐसा कर देने की बात कही थी। विधेयक मंत्रालय की वेबसाइट पर रख दिया गया है, जिस पर कोई भी अपनी प्रतिक्रिया 31 अगस्त तक भेज सकता है। अंतिम विधेयक को संसद केऔरऔर भी

जयराम रमेश ने ग्रामीण विकास मंत्रालय का पदभार संभालते ही जमीन के विस्फोटक मुद्दे को हाथ लगा दिया है। उन्होंने कहा है कि भूमि अधिग्रहण विधेयक का मसौदा अगले हफ्ते के मध्य तक बहस के लिए पेश कर दिया जाएगा और इसके बाद 1 अगस्त से शुरू हो रहे मानसून सत्र में इसे संसद के पटल पर रख दिया जाएगा। सारा देश इस बात से वाकिफ है कि जमीन का मसला उड़ीसा से लेकर पश्चिम बंगाल औरऔरऔर भी

वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार देश में आदिवासियों की आबादी आठ करोड़ से अधिक है जिनमें से 7.73 करोड़ ग्रामीण इलाकों में और केवल 70 लाख शहरी इलाकों में रहते हैं। 12 राज्यों में आदिवासियों के 2474 गांव हैं और इनमें असम के वनों में बसे गांवों की संख्या सबसे ज्यादा है। असम में आदिवासियों के 499 गांव हैं जबकि उत्तर प्रदेश में सबसे कम 12 गांव हैं। केंद्र सरकार ने अभी तक राष्ट्रीय आदिवासी नीतिऔरऔर भी