जिस तरह ज्यादातर कंपनियों के आईपीओ (शुरुआती पब्लिक ऑफर) कुछ ही समय बाद अपने इश्यू मूल्य से बहुत नीचे खिसक जाते हैं और लिस्टिंग के दिन में उनमे जबरदस्त ऊंच-नीच होती है, उसने पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी को आखिरकार कुछ ठोस कदम उठाने पर मजबूर कर दिया। सेबी ने आईपीओ के मूल्य में मर्चेंट बैंकरों की जवाबदेही तय करने के लिए उनके द्वारा संचालित पुराने आईपीओ का हाल बताना जरूरी कर दिया है। इस सिलसिले मेंऔरऔर भी

कभी सोचा है आपने कि केवल भारतीय ट्रेडरों और निवेशकों को ही इतनी ज्यादा वोलैटिलिटी, इतना भयंकर झंझावात क्यों झेलना पड़ता है? क्या आपने कभी सुना है कि अमेरिका का डाउ जोन्स सूचकांक लेहमान संकट व डाउनग्रेड जैसे विशेष हालात के अलावा सामान्य स्थिति में कभी दो दिन के अंदर 5% ऊपर-नीचे हुआ हो? लेकिन भारत में हर तीन महीने पर ऐसा होता है। बाजार को 5% का फटका लगता है, निवेशकों की दौलत में भारी सेंधऔरऔर भी

कैबिनेट ने गुरुवार को सरकारी कंपनी नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एबीसीसी) को शुरुआती पब्लिक ऑफर (आईपीओ) लाने की इजाजत दे दी। अभी कंपनी की सारी की सारी 90 करोड़ रुपए की चुकता पूंजी भारत सरकार के पास है। इसमें से 10 फीसदी इक्विटी सरकार बेचेगी, जिससे कुल 250 करोड़ रुपए जुटाने की योजना है। यह रकम चालू वित्त वर्ष 2011-12 में विनिवेश के लिए निर्धारित 40,000 करोड़ रुपए के लक्ष्य के सामने इतनी कम है कि कोईऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) को लघु व मध्यम स्तर की कंपनियों (एसएमई) के लिए अलग एक्सचेंज शुरू करने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। बीएसई के प्रबंध निदेशक व सीईओ मधु कन्नन ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए कहा, “हमें खुशी है कि सेबी से हमें लघु व मध्यम उद्यमों के लिए नया एक्सचेंज शुरू करने का सैद्धांतिक अनुमोदन मिल गया है। यह भारत के निवेशकों को बेहतर उत्पाद वऔरऔर भी

एक अच्छी खबर है जो पूंजी बाजार में खुशी ला सकती है। नॉर्थ ब्लॉक के मेरे सूत्रों ने बताया है कि आखिरकार वित्त मंत्रालय ने आईपीओ की लिस्टिंग के पहले दिन होनेवाले खेल पर चिंता जताई है। अमूमन लिस्टिंग के बाद शेयर धड़ाम से गिरते हैं जिससे लाखों-करोड़ों निवेशकों की पूंजी स्वाहा हो जाती है। यहां तक कि सरकार को भी अपनी कंपनियों के आईपीओ रिटेल व असली निवेशकों को बेचने में समस्या होती है। दुखद बातऔरऔर भी

पूरा देश भ्रष्टाचार के खिलाफ गोलबंद। दस करोड़ एसएमएस। देश के करीब 80 शहरों से 44 लाख ट्वीट। पुरानी पीढ़ी से लेकर नई पीढ़ी तक। जगह-जगह हजारों लोग हाथों में मोमबत्तियां लिए अण्णा हजारे के साथ आ खड़े हुए। सरकार को इस जन-उभार के आगे झुकना पड़ा। इसी के साथ एक और बात सामने आई है कि हम जिन्हें राष्ट्रवाद के साथ जोड़कर देखते हैं, हमारे वे क्रिकेट खिलाड़ी केवल उस बीसीसीआई के लिए खेलते हैं जिसकेऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने आईपीओ में शेयरों के दाम अधिक रखने पर चिंता जताई है। सेबी के चेयरमैन सी बी भावे में शुक्रवार को मुंबई में मर्चेंट बैंकिंग उद्योग पर आयोजित एक समारोह में कहा कि इनवेस्टमेंट बैंकरों को आपसी होड़ में पब्लिक इश्यू में जारी शेयरों के दाम बढ़ाने के बजाय निवेशकों के हितों का भी ख्याल रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब बहुत सारे इश्यू आ रहे हों और बाजार अच्छा हो तोऔरऔर भी

यह सच है कि हाथी के दांत दिखाने के और, खाने के और होते हैं। लेकिन यह बात मुझे अभी-अभी पता चली है कि हमारे पूंजी बाजार में भी ऊपर-ऊपर जो दिखाया जाता है, हकीकत उससे काफी जुदा होती है। जैसे, यह कि बहुत सारी कंपनियों के आईपीओ फंडेड होते हैं। इस अर्थ में ही नहीं कि उनमें क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशन खरीदार (क्यूआईबी), एंकर इनवेस्टर और एचएनआई पहले से ही इश्यू के मर्चेंट बैंकर से बातचीत के बादऔरऔर भी