हमारी सोच में कुछ जन्मजात दोष हैं, जिनको दूर किए बगैर हम ट्रेडिंग में कतई कामयाब नहीं हो सकते। चूंकि अपने यहां इन सोचगत व स्वभावगत दोषों को दूर करने की कोई व्यवस्था नहीं है और सभी इस खामी का फायदा उठाकर कमाना चाहते हैं तो हम में ज्यादातर लोग घाटे पर घाटा खाते रहते हैं। किसी को हमें घाटे से उबारने की नहीं पड़ी है। पूंजी बाज़ार नियामक संस्था, सेबी बड़ी-बड़ी बातें ज़रूर करती है, लेकिनऔरऔर भी

देश के लिए सोचना आसान है, करना कठिन। सोचने के लिए बस भावना चाहिए, जबकि करने के लिए सही हालात का सच्चा ज्ञान जरूरी है। भावना में सच्चे, ज्ञान में कच्चे रहे तो सत्ता के लिए लार टपकाता कोई समूह हमारा इस्तेमाल कर लेता है।और भीऔर भी

छोटी-छेटी प्रतिक्रियाओं में हम अक्सर बड़े फैसले कर बैठते हैं। राजनीति और ज़िंदगी दोनों में। भूल जाते हैं कि हमारे इन फैसलों से रिश्ते सन्न रह जाते हैं, भावनाएं तड़क जाती हैं। प्रतिक्रिया से हमें सब मिल जाता है, पर उनकी तो ज़िदगी ही उजड़ जाती है।और भीऔर भी

सिर्फ भावनाओं से कुछ नहीं हो सकता। लेकिन भावनाओं के बिना भी कुछ नहीं हो सकता। भावनाएं उस लीवर का काम करती हैं जो कम बल से ज्यादा वजन उठाने की क्षमता देता है। भावनाएं ही हमें सक्रिय बनाती हैं। अन्यथा हम यूं ही पड़े रहें।और भीऔर भी

समाज का मुलम्मा भले ही लगा हो, लेकिन हमारी सारी भावनाओं का स्रोत मूलतः प्रकृति ही होती है। शरीर के रसायन और खुद को संभालने व गुणित करते जाने का प्राकृतिक नियम हमें नचाता रहता है। हमारा अहं भी प्रकृति की ही देन है।और भीऔर भी

जमाने की सीधी चढ़ाई भावनाओं के मुलायम पोरों से नहीं, बुद्धि के कठोर नखों के दम पर पाई जा सकती है। जोंक जैसा चिपकने का गुण या बाघनखी जैसी पकड़। नहीं तो बार-बार आप फिसलते ही रहेंगे।और भीऔर भी

सृजन व पीड़ा में अभिन्न रिश्ता है। प्रकृति ने तो सृजन की हर प्रक्रिया के साथ खुशी व उन्माद के ऐसे भाव जोड़ रखे हैं कि पीड़ा गौड़ हो जाती है। सामाजिक सृजन में इंसान को यह काम खुद करना पड़ता है।और भीऔर भी

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के सत्ता में आने की संभावनाएं बेहतर दिखने लगीं तो अनिल धीरूभाई अंबानी समूह की कंपनियों के शेयर चमाचम हो उठे। बाजार भी नई ऊंचाई पर बंद हुआ। लेकिन मैं ही नहीं, समूचा बाजार इस तेजी को लेकर आश्वस्त नहीं है। इसी आश्वस्त न होने के चक्कर में वो तमाम ट्रेडर जो निफ्टी के 5200 के स्तर से ही शॉर्ट हुए पड़े हैं, अब भारी दबाव महसूस करने लगे हैं। हमारी टीमऔरऔर भी