सहयोग को भाव
देवी-देवताओं का काम भी दो हाथों से नहीं चलता तो इंसान की क्या बिसात! मगर हम अपने गुमान में इतने मशरूफ रहते हैं कि अपनों तक का सहयोग देख नहीं पाते। हकीकत यह है कि जब तक हम सहयोग को भाव नहीं देते, तब तक बड़े नहीं बन सकते।और भीऔर भी
देवी-देवताओं का काम भी दो हाथों से नहीं चलता तो इंसान की क्या बिसात! मगर हम अपने गुमान में इतने मशरूफ रहते हैं कि अपनों तक का सहयोग देख नहीं पाते। हकीकत यह है कि जब तक हम सहयोग को भाव नहीं देते, तब तक बड़े नहीं बन सकते।और भीऔर भी
दुनिया और घरेलू बाजार को लेकर जितनी भी चिंताएं जताई जा रही हैं, वे सभी अतिरंजित हैं, काफी ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर उन्हें पेश किया जा रहा है। पूंजी बाजार में घोटाले का शोर है, लेकिन यह घोटाला कितने का है, इसका कोई बड़ा आंकड़ा सामने नहीं आया है। हां, इतना जरूर हुआ है कि आरोप-प्रत्यारोप के इस दौर ने बाजार के माहौल को बड़ा संगीन व डरावना बना दिया है। आखिर पुराने फ्रॉड और घोटालों पर चर्चा करनेऔरऔर भी
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