अरे! आत्मग्रस्त
2011-11-02
हम अपने में इस कदर डूबे रहते हैं कि बाढ़ का पानी किस कदर करीब आ पहुंचा है, पता ही नहीं चलता। जब हम ठीक डूबने की कगार पर होते हैं, तब जागते हैं। लेकिन तब तक तो काफी देर हो चुकी होती है।और भीऔर भी
हम अपने में इस कदर डूबे रहते हैं कि बाढ़ का पानी किस कदर करीब आ पहुंचा है, पता ही नहीं चलता। जब हम ठीक डूबने की कगार पर होते हैं, तब जागते हैं। लेकिन तब तक तो काफी देर हो चुकी होती है।और भीऔर भी
जिस तरह बाढ़ का पानी उतरने के बाद धरती साफ दिखाई देने लगती है और धीरे-धीरे हरियाली फिर से उमगने लगती है, उसी तरह भ्रमों का पानी उतरने के बाद हम भी अंदर से निखरने लगते हैं।और भीऔर भी
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