कोई भी विचारधारा हमेशा के लिए नहीं होती क्योंकि रूढ़ियां उसे घेरकर बेजान बना देती हैं। पानी का आकार लोटे में कैद हो जाता है। इसलिए विचारधारा के प्राणतत्व को बराबर परिमार्जित करते रहना पड़ता है।और भीऔर भी