सृजनात्मक विनाश और विनाशकारी सृजन का सिलसिला अटूट है। जंगल की आग के बाद पहले से ज्यादा बलवान नए अंकुर फूटते हैं। नई तकनीक पुरानी को ले बीतती है। शिव सृष्टि और समाज के इसी सतत विनाश और सृजन के प्रतीक हैं।और भीऔर भी

ज़िंदगी की तीखी चढ़ाई में हमेशा आस्था की जरूरत पड़ती है जिसके सहारे आप अंदर-बाहर की हर प्रतिकूलता से निपटते हैं। इस आस्था का प्रतीक गुरु, मित्र, देव, पेड़ या आपका कोई प्रिय भी हो सकता है।और भीऔर भी