रिश्तों के तंतु
2011-06-12
हर सजीव वस्तु या रिश्ते का पोर-पोर बेहद बारीक तंतुओं से जुड़ा होता है। एक भी तंतु हिल जाए तो उससे उपजी तकलीफ हमें अंदर तक हिलाकर रख देती है और, तब हमें उसके होने का अहसास होता है।और भीऔर भी
हर सजीव वस्तु या रिश्ते का पोर-पोर बेहद बारीक तंतुओं से जुड़ा होता है। एक भी तंतु हिल जाए तो उससे उपजी तकलीफ हमें अंदर तक हिलाकर रख देती है और, तब हमें उसके होने का अहसास होता है।और भीऔर भी
मन में आए भाव-विचार के माफिक शरीर रसायन बनाता है और शरीर में पहुंचे रसायन मन को घुमा डालते हैं। फिर, रसायन तो रक्त के साथ पोर-पोर तक जाता है तो मन भी हर पोर तक पहुंच जाता होगा!और भीऔर भी
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