हम आमतौर पर जिन कारों की सवारी करते हैं, उनमें लगनेवाले पेट्रोल या डीजल का महज 5% हमें ढोने में लगता है। 80% ईंधन तो खुद कार को ढोने में लग जाता है। बाकी 15% हिस्सा ईंधन को ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया के दौरान बरबाद चला जाता है। विकसित देशों में कार जरूरत की सवारी है, जबकि अपने यहां जरूरत से ज्यादा शान और दिखावे की। यह दिखावा हमारी ही नहीं, देश की जेब पर भीऔरऔर भी

खाद्य, उर्वरक और पेट्रोलियम सब्सिडी के बोझ ने वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की रातों की नींद उड़ा दी है। वित्त मंत्री ने बुधवार को राजधानी दिल्ली में आयोजित राज्यों के कृषि व खाद्य मंत्रियों के सम्मेलन में खुद यह बात कही। दो दिन का यह सम्मेलन लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली और भंडारण के मुद्दे पर बुलाया गया है। प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘‘वित्त मंत्री के तौर पर जब मैं विभिन्न मदों में दी जाने वाली भारी सब्सिडीऔरऔर भी

रिजर्व बैंक ने बड़े साफ शब्दों में कह दिया है कि नए वित्त वर्ष 2011-12 के बजट में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने सब्सिडी के लिए जो प्रावधान किया है, वह वास्तविकता के अनुरूप नहीं है। सोमवार को नए साल की मौद्रिक नीति जारी करने से पहले अर्थव्यवस्था की समग्र स्थिति के आकलन में रिजर्व बैंक ने यह बात कही है। रिजर्व बैंक के दस्तावेज में कहा गया है कि बजट में सब्सिडी की गिनती यह मानकरऔरऔर भी

सरकार ने चीनी मिलों से खरीदे जानेवाले इथेनॉल की अंतरिम कीमत 27 रुपए प्रति लीटर तय की है। यह अभी तक 21.50 रुपए प्रति लीटर थी। चीनी मिलों से यह इथेनॉल पेट्रोलियम तेल कंपनियां खरीदेंगी और इसे पेट्रोल के साथ मिलाकर बेचेगी। इस समय तेल कंपनियों के लिए पेट्रोल में 5 फीसदी इथेनॉल मिलाना अनिवार्य है, जिसे बढ़ाकर 10 फीसदी करने पर विचार किया जा रहा है। आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने सोमवार को इथेनॉल कीऔरऔर भी

केंद्र ने बीते वित्त वर्ष 2009-10 में विभिन्न पेट्रोलियम उत्पादों पर कुल 28,789 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी, जबकि उसे इन पर विभिन्न टैक्सों से कुल 71,768 करोड़ रुपए मिले। 7755 करोड़ रुपए कस्टम ड्यूटी और 64,013 करोड़ रुपए सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी से। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के मुताबिक राज्यों के कुल राजस्व का 34 फीसदी हिस्सा पेट्रोलियम उत्पादों पर लगे टैक्स से आता है। सब्सिडी के बावजूद 2009-10 में सरकारी तेल कंपनियों की अंडर-रिकवरी 46,051 करोड़औरऔर भी

अगर पी/ई अनुपात के लिहाज से देखें तो आइडिया सेलुलर देश की लिस्टेड टेलिकॉम कंपनियों में भारती एयरटेल के बाद सबसे सस्ता शेयर है। 2009-10 में इसका ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 3.39 रुपए रहा है और इसका शेयर सोमवार को बीएसई में 3.80 फीसदी बढ़कर 58.70 रुपए और एनएसई में 3.45 फीसदी बढ़कर 58.50 रुपए पर बंद हुआ है। इसका पी/ई अनुपात 17.16, भारती एयरटेल का 8.32 और रिलायंस कम्युनिकेशंस का 86.83 है। आइडिया का परिचालन लाभऔरऔर भी