हमें अपने पूर्वजों द्वारा निकाले गए निष्कर्षों का नहीं, उनके जुझारूपन का कायल होना चाहिए। जब खुद वे शाश्वत नहीं रहे तो उनके निष्कर्ष कैसे शाश्वत हो सकते हैं। हां, उनका जुझारूपन जरूर शाश्वत है।और भीऔर भी

जब तक सब कुछ हासिल है, हम खुद को भगवान का राजकुमार माने बैठे रहते हैं। भूल जाते हैं कि यहां कुछ भी अपने-आप नहीं मिलता। हमें जो भी मिला है, वह हमारे अग्रजों-पूर्वजों के कर्मों का फल है।और भीऔर भी

महान अतीत हमारे पीछे है। संभावनामय भविष्य हमारे आगे है। इन दोनों के बीच की अटूट कड़ी हैं हम। अतीत के वारिस और भविष्य के ट्रस्टी। जरा सोचिए, हमारी पीढ़ी को कितनी बड़ी जिम्मेदारी निभानी है।और भीऔर भी