अपनों में शायद ही कोई अपना मिले, जिसके नाम खुद को किया जा सके। परायों में तलाशोगे, दर-दर भटकोगे तो जरूर कोई न कोई मिल जाएगा, खुद को जिसके नाम कर निश्चिंत हो सकते हो।और भीऔर भी

हर काम को अपना ही समझ कर करना चाहिए। पराया समझ कर करते हैं तो बोझ लगता है, किसी पर किया गया एहसान लगता है। वैसे भी सच तो यही है कि हम अपने अलावा और किसी पर एहसान नहीं करते।और भीऔर भी