निमित्त मात्र
मैं तो बांस का एक टुकड़ा भर हूं, जिसने बाहर से आनेवाली हवाओं के लिए कई झरोखे काट रखे हैं। अगर बहती हवा के झोंके, किसी की सांसों का वेग इसे बांसुरी बना देता है तो इसमें मेरी क्या भूमिका!और भीऔर भी
कर्ता नहीं, निमित्त
जब आप खुद को कर्ता नहीं, निमित्त मानते हैं तो और कुछ हो या न हो, तमाम झंझट व तनाव से बच जाते हैं। आपके अंदर एक तरह की तटस्थता आ जाती है और आप अपना काम ज्यादा शिद्दत से कर पाते हैं।और भीऔर भी
आस्था का फायदा
जब हमें लगता है कि हम तो निमित्त मात्र हैं और हमारे पीछे कोई बड़ी शक्ति काम कर रही है तो हम मां की गोद में पड़े बच्चे की तरह बेधड़क किलकारियां मारने लगते हैं। आस्था का यही फायदा है।और भीऔर भी
न भगवान, न भुनगा
हम इतने बड़े भी नहीं कि खुदा हो जाएं और इतने छोटे भी नहीं कि कोई भुनगे की तरह मसल दे। हम सब निमित्त हैं। पर जो काम हमें करना है, उसे हमें ही करना होगा। नहीं तो नया निमित्त मिलने में देर हो सकती है।और भीऔर भी
उठने की फितरत
जिंदगी में हताश होकर गिरना बहुत आसान है। लेकिन यह निर्जीव पत्थर का स्वभाव है, जिंदा इंसान का नहीं। हम किसी लिखी-लिखाई स्क्रिप्ट के पात्र भी नहीं हैं। निमित्त या कठपुतली नहीं है हम। सजीव हैं हम।और भीऔर भी