रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी का इस्तीफा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेज दिया है। इसके बाद तय हुआ कि रेल बजट 2012-13 पर जो भी चर्चा होगी, उसका जवाब वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी देंगे। सोमवार से लोकसभा में रेल बजट पर चर्चा शुरू हो चुकी है। ये पहला मौका है जब अलग तरह के राजनीतिक हालात पैदा हो गए हैं। लिहाजा सरकार के सामने बड़ी चुनौती आ गई कि रेल बजट परऔरऔर भी

रुपयों के खेल में चंद पैसों का कोई मायने नहीं होता। शायद रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने रेल बजट 2012-13 में इसी आम मनोविज्ञान को कुशल मार्केटिंग के अंदाज में इस्तेमाल करने की कोशिश की। उन्होंने पहले तो रेलवे की खस्ता माली हालत का रोना रोया। कहा, “कंधे झुक गए हैं, कमर लचक गई है। बोझा उठा-उठाकर बेचारी रेल थक गई है। रेलगाड़ी को नई दवा, नया असर चाहिए। इस सफर में मुझे आप-सा हमसफर चाहिए।” इसकेऔरऔर भी

अगर कुछ ठोस उपाय नहीं किए गए तो भारतीय रेल की माली हालत ध्वस्त होने की कगार है। करीब महीने भर पहले 17 फरवरी को परमाणु ऊर्जा आयोग के चेयरमैन अनिल काकोदकर की अध्यक्षता में बने विशेषज्ञ दल ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही थी। उसका कहना था कि भारतीय रेल को सुरक्षित यात्रा के मानकों को पूरा करने के लिए करीब एक लाख करोड़ रुपए लगाने होंगे। इसके दस दिन बाद 27 फरवरी को राष्ट्रीयऔरऔर भी

प्रधानमंत्री के सलाहकार सैम पित्रोदा की अध्‍यक्षता में रेल मंत्रालय द्वारा भारतीय रेल के आधुनिकीकरण के लिए गठित विशेषज्ञ समूह ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी को सौंप दी। उसके द्वारा प्रस्ताविक आधुनिकीकरण की कुल अनुमानित लागत 5,60,396 करोड़ रुपए है। इसका एक अंश उसने यात्रियों पर सरचार्ज लगाकर जुटाने को कहा है। उसका कहना है कि भारतीय रेल को अपने उपक्रमों के विनिवेश के साथ ही धन जुटाने के दूसरे उपायों पर भीऔरऔर भी

भारतीय रेल के जिन जनरल डिब्बों और लोकल उपनगरीय ट्रेनों में देश के बूढ़े, बच्चे, महिलाएं और युवा जानवरों की तरह सफर करते हैं, सरकार का मानना है कि उससे उसे सबसे ज्यादा घाटा हो रहा है और इनके किरायों में वृद्धि करना अब अपरिहार्य हो गया है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य (ट्रैफिक) वीनू एन माथुर का कहना है यात्री किरायों को बढ़ाए बगैर रेलवे के घाटे को संभालऔरऔर भी

रेल मंत्रालय ने तत्काल यात्रा योजना के दुरुपयोग के रोकने के लिए कुछ ठोस उपाय किए हैं जो अगले हफ्ते से लागू हो जाएंगे। इसके तहत अब तत्काल योजना के तहत टिकट ट्रेन अपने मूल स्टेशन से जिस तारीख को शुरू हो रही है, उससे एक दिन पहले मिला करेंगे। मान लीजिए कोई ट्रेन कोलकाता से 18 नवंबर को शुरू हो रही है तो उसका तत्काल टिकट 17 नवंबर को देश में किसी भी जगह से सुबहऔरऔर भी

पिछले आठ सालों से भारतीय रेल ने यात्री किराया नहीं बढ़ाया है, जबकि यात्री ट्रेनें चलाने का खर्चा तकरीबन सौ फीसदी बढ़ चुका है। इस लिहाज से अब किराया दोगुना होना चाहिए, लेकिन हम इतनी बढ़ोतरी नहीं कर सकते। इस मामले में हमें चतुराई से काम करना होगा। किराया इस तरह बढ़ाया जाना चाहिए ताकि वह वाजिब व तर्कसंगत लगे ताकि बाद में उनसे जुड़े सवालों का जवाब दिया जा सके। रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने बुधवारऔरऔर भी