हमने परसों ही कहा था कि बाजार 300 से 350 अंक बढ़ सकता है, जिसकी वजह और कुछ नहीं, बल्कि रोलओवर का दौर होगा। बाजार ने बजट पर बुरी तरह प्रतिक्रिया दिखाई और लोग शॉर्ट करने के चक्कर में पड़ गए। इसलिए बाजार को वापस उठना ही था। निफ्टी आज 90 अंक से ज्यादा बढ़कर 5364.95 पर बंद हुआ है, जबकि निफ्टी फ्यूचर्स का आखिरी भाव 5403.75 रहा है। मुझे अब कोई आश्चर्य नहीं होगा जो निफ्टीऔरऔर भी

इसमें कोई दो राय नहीं कि हम सभी अभी सीखने के दौर में हैं और यह दौर लंबा खिंचेगा। सीखने का मतलब होता है कि पहले उस जड़ता को तोड़ना जो सालोंसाल में हमारे भीतर जड़ बना चुकी है। यह अपने-आप नहीं निकलती। निरंतर रगड़-धगड़ से इसे निकालना पड़ता है। इसका कोई शॉर्ट कट नहीं है। उसी तरह जैसे शेयर बाजार में सुरक्षित चलनेवाले आम निवेशकों के लिए कोई शॉर्ट टर्म नहीं होता। दुनिया के सबसे कामयाबऔरऔर भी

बाजार का बैरोमीटर, निफ्टी 5440 से बढ़कर 5586 पर पहुंच गया जो उस स्पष्ट रुझान की तस्दीक करता है जिसे हम पहले ही बता चुके हैं। असल में, फिजिकल सेटलमेंट के अभाव में पूरे सिस्टम के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। हमने पिछले कॉलम में तथ्यों व आंकड़ों के साथ दिखाया है कि डेरिवेटिव या एफ एंड ओ बाजार 32,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का नहीं है, जबकि इसे 1,15,000 करोड़ रुपए का दिखाया जाता है।औरऔर भी

हालांकि बाजार का सबसे बुरा वक्त या कहिए कि राहुकाल बीत चुका है, लेकिन अब भी दो और आसान मोहरे हैं जिनके दम पर चालबाज बाजार में उठापटक पैदा कर सकते हैं। फिलहाल बाजार से ऑपरेटर की अवधारणा ही खत्म होने जा रही है। इसलिए आगे से हमें दो नई अवधारओं पर केंद्रित करने की जरूरत है – एक, मार्केट मेकर (सेबी की इजाजत मिल चुकी है, लेकिन अमल में नहीं) और दो, बाजार के चालबाज याऔरऔर भी

अजीब भेड़चाल चलती है हमारे बाजार में। धारा के साथ बहना लोगों की आदत हो गई है। निफ्टी जब 4800 पर चला गया था तो एक भी शख्स ऐसा नहीं था जो कहता कि यह फिर से 5300 तक जाएगा, वह भी इसी सेटलमेंट में। लेकिन ऐसा हो गया। निफ्टी एक तरह से नए शिखर पर पहुंच गया है जबकि बीएसई सेंसेक्स 18,000 को पार करने से ज़रा-सा चूक गया। तो, अब पूरा बाजार एक ही रागऔरऔर भी