विश्व स्तर पर मशहूर निवेश गुरु मार्क मोबियस का कहना है कि इस साल 2011 में भी भारतीय शेयर बाजार निवेशकों को लगभग 15 फीसदी रिटर्न देगा। उन्होंने शुक्रवार को दिल्ली में आयोजित एक समारोह में कहा कि भारतीय शेयर बाजार साल 2011 में पिछले साल से बेहतर नहीं तो उतना रिटर्न दे ही देंगे। मोबियस टेम्प्लेटन एमर्जिंग मार्केट्स ग्रुप के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन हैं। पिछले साल 2010 में बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी में लगभग 15 फीसदी बढ़तऔरऔर भी

सिकागेन इंडिया (बीएसई – 533014, एनएसई – SICAGEN) कभी सिकाल लॉजिस्टिक्स का हिस्सा हुआ करती थी। सिकाल लॉजिस्टिक्स ने करीब तीन साल पहले मद्रास हाईकोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद अपने नॉन-लॉजिस्टिक्स बिजनेस को सिकागेन इंडिया के रूप में डीमर्ज कर दिया। तब सिकाल लॉजिस्टिक्स के हर शेयरधारक को सिकागेन इंडिया का 10 रुपए अंकित मूल्य का शेयर 74.50 रुपए प्रीमियम यानी, 84.50 रुपए पर एलॉट किया गया था। आज सिकागेन का वही शेयर गिरते-गिरते 19औरऔर भी

वित्त मंत्रालय ने आखिरकार आर्थिक प्रोत्साहन से कदम वापस खींचने का संकेत दे दिया है। यह बैंकिंग और ऑटो सेक्टर के लिए नकारात्मक बात है। लेकिन पूरे बाजार के लिए यह अच्छी और सकारात्मक बात है क्योंकि इससे पता चलता है कि सरकार के अनुसार आर्थिक विकास की स्थिति इतनी मजबूत हो चुकी है कि प्रोत्साहन जारी रखने की जरूरत नहीं है। तात्कालिक राजनीतिक मुद्दा अलग तेलंगाना राज्य का है। लेकिन यह मुद्दा बेदम होता दिख रहाऔरऔर भी

बाजार सुरक्षित हाथों में है। कृपया चिंता करना छोड़ दें। इस सेटलमेंट में जिन स्टॉक्स में तेजी का दम रहेगा, वे हैं – आरआईएल, आईएफसीआई, आईडीबीआई बैंक, सेंचुरी टेक्सटाइल्स, एचडीआईएल, यूनिटेक, डीएलएफ, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील और ऑर्किड केमिकल्स। इन पर सेटलमेंट के आखिरी दिन गुरुवार का असर आप 30 दिसंबर 2010 को देखिएगा। एनएवी (शुद्ध आस्ति मूल्य) का दिन 31 दिसंबर 2010 है क्योंकि तमाम म्यूचुअल फंड अब भी एनएवी के लिए कैलेंडर वर्ष का इस्तेमालऔरऔर भी

देश के कई हिस्सों में नैनो कार में चलते-चलते आग लग जाने की घटनाओं को टाटा मोटर्स ने अब जाकर संज्ञान में लिया है। उसने कुछ नैनो कारों को वापस मंगाने का निर्णय लिया है ताकि आग पकड़ने से बचाने के लिए उन कारों में सुरक्षा के अतिरिक्त उपाय किए जा सकें। टाटा मोटर्स के प्रबंध निदेशक (भारतीय परिचालन) पी.एम. तेलंग ने बुधवार को कुछ बिजनेस चैनलों और समाचार एजेंसियों को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया, ‘‘इसकीऔरऔर भी

बीईएमएल सरकार की मिनी-रत्न कंपनी है। रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है। पहले इसका नाम भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड हुआ करता था। ए ग्रुप की कंपनी है। इधर चर्चा है कि उसे बड़े ऑर्डर मिलनेवाले हैं और सरकार अपनी थोड़ी इक्विटी हिस्सेदारी बेच भी सकती है। हालांकि कंपनी में सरकार की वर्तमान हिस्सेदारी 54.03 फीसदी है। इसलिए वह बहुत बेचेगी तो 3 फीसदी इक्विटी ही बेच सकती है क्योंकि इसमें 51 फीसदी से कम सरकारी हिस्सेदारीऔरऔर भी

देश की तकरीबन 40 ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों में की जानेवाली छोटी से बड़ी खरीद में इस कदर भ्रष्टाचार छाया हुआ है कि ई-प्रोक्योरमेंट सिस्टम अपनाने का काम एक बार फिर 26 अक्टूबर 2010 तक टाल दिया गया है। खरीद में पारदर्शिता लाने के लिए पहले तय हुआ था कि 10 लाख रुपए से ज्यादा की सारी खरीद 1 अगस्त 2010 से ई-प्रोक्योरमेंट सिस्टम से ऑनलाइन की जाएगी। लेकिन ऐन-वक्त पर इसकी तारीख टाल कर 1 सितंबर 2010 करऔरऔर भी

सुब्रोस लिमिटेड पच्चीस साल पुरानी कंपनी है। इसे 1985 में जापान की सुजुकी कॉरपोरेशन और डेंसो कॉरपोरेशन ने सूरी बंधुओं के साथ मिलकर बनाया था। रमेश सूरी कंपनी के कार्यकारी चेयरमैन हैं और श्रद्धा सूरी उसकी प्रबंध निदेशक है। कंपनी कार से लेकर बसों तक के एसी बनाती है। उसके पास देश में ऑटो एयर कंडीशनिंग सिस्टम बनाने की सबसे बड़ी और इकलौती एकीकृत इकाई है। उसके तीन संयत्र नोएडा (उ.प्र.), मानेसर (हरियाणा) और पुणे (महाराष्ट्र) मेंऔरऔर भी