बाजार ने कल साबित करने की कोशिश की कि अमेरिकी बाजार से हमारा कोई वास्ता नहीं रह गया है, जबकि ग्लोबल होती जा रही दुनिया का सच यह नहीं है। दरअसल बाजार के महारथियों ने कुछ एफआईआई की मदद से चुनिंदा स्टॉक्स को खरीदकर बनावटी माहौल बनाने की कोशिश की थी। खैर, कल जो हुआ, सो हुआ। आज दोपहर करीब डेढ़ बजे के बाद बाजार ने बढ़त पकड़ ली तो कारोबार के अंत तक सेंसेक्स 0.89% बढ़करऔरऔर भी

जैसी हमें उम्मीद थी, वैसा ही हुआ। निफ्टी 3.62 फीसदी बढ़कर 4919.60 और सेंसेक्स 3.58 फीसदी बढ़कर 16.416.33 पर पहुंच गया। बाजार के इस मुकाम पर हम निफ्टी में 5240 तक खरीद या लांग रहने का नजरिया रखते हैं। वहां पहुंचने के बाद हम चारों तरफ घट रही घटनाओं के आधार पर देखेंगे कि यह किसी मुर्दे में अचानक जान आ जाने का मामला है या रैली की शुरुआत हो चुकी है। 4100, 4200, 4300 व 4400औरऔर भी

आखिरकार भारत वैश्विक झटके से धीरे-धीरे उबर रहा है। हालांकि हमारे मंदड़िए बाजार को तोड़कर नीचे से नीचे ले जाने की हरचंद कोशिश में जुटे हैं। वे इसमें कामयाब नहीं हो पाएंगे और उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी होगी। यह अलग बात है कि ऑपरेटरों व एफआईआई का खेल रह-रहकर अपना प्रताप दिखाता रहता है। बाजार के संचालकों के लिए ऑप्शंस में कॉल व पुट राइटिंग के ऊंचे और नीचे स्तर से फायदा कमाकर घर ले जानेऔरऔर भी

विश्व स्तर पर भी लगता है कि बद से बदतर हालात के असर को पूरी तरह जज्ब किया जा चुका है। ओवरसोल्ड हालत में पहुंच चुके दुनिया के शेयर बाजार से अब यहां से उठते चले जाएंगे। इस बीच भारतीय शेयर बाजार भी बेहद ओवरसोल्ड स्थिति में पहुंच गया है। डेरिवेटिव सौदों के रोलओवर में केवल सात दिन बचे हैं। इसलिए भारतीय बाजार की दिशा अब केवल बढ़ने की ही होनी है। इसी सेटलमेंट में निफ्टी 5500औरऔर भी

अमेरिका का डाउनग्रेड होना चाहिए था या नहीं, यह अब बहस का नहीं, इतिहास का मसला बन चुका है क्योंकि एस एंड पी उसकी संप्रभु रेटिंग को डाउनग्रेड कर एएए से एए+ पर ला चुकी है। हो सकता है कि एएए रेटिंग वाले दूसरे देशों को भी बहुत जल्द ही डाउनग्रेड कर दिया जाए। लेकिन क्या इस तरह के डाउनग्रेड से सब कुछ खत्म हो जाता है? ऐसा कतई नहीं है। दुनिया और बाजार चलते रहे हैं,औरऔर भी

दुनिया के बाजारों की पस्ती हमारे बाजार में भी पस्ती का सबब बन गई। इटली में बांडों मूल्यों का अचानक गिर जाना और ऑस्ट्रेलिया में कोयला खनन पर टैक्स लगाने जैसी बातों ने माहौल को और बिगाड़ दिया। फिर भी भारतीय बाजार अपेक्षाकृत संभले रहे। मिड-कैप स्टॉक्स में देशी-विदेशी फंडों की खरीद जारी है। एप्टेक, एलएमएल, एसीसी और टाटा मोटर्स के नॉन वोटिंग शेयरों वगैरह को तवज्जो मिल रही है। निफ्टी गिरा जरूर, लेकिन 5600 के नीचेऔरऔर भी

हमने इसी जगह एक बार नहीं, कई बार कहा था कि चाहे कुछ हो जाए, बाजार 5735 तक जाएगा। यह हो गया। महज दो हफ्तों में एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशकों) ने 10,000 करोड़ रुपए की खरीद कर डाली। अहम सवाल है कि आगे क्या होगा? क्या यह क्षणिक आवेग है या बाजार नई छलांग की तैयारी में है? मंदी और तेजी के खेमे की राय स्वाभाविक तौर पर अलग-अलग है। कुछ कहते हैं कि यह महज फुलझड़ीऔरऔर भी

विदेशी निवेशक फर्म मॉरगन स्टैनले ने जहां एक तरफ देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) को डाउनग्रेड कर दिया है, वहीं सड़क व बांध वगैरह बनाने में लगी और उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार की करीबी मानी जानेवाली कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स का स्तर बढ़ा दिया है। यहीं नहीं, मुंबई की रीयल एस्टेट कंपनी ओबेरॉय रीयल्टी के बारे में भी उसकी राय काफी अच्छी है। मॉरगन स्टैनले ने अपनी ताजा रिपोर्ट में आरआईएल को ओवर-वेट सेऔरऔर भी

निफ्टी 5740 तक जाने के बाद लगभग 80 अंक नीचे आकर 5660.65 पर गया। इसकी दो वजहें रहीं। एक, मॉरगन स्टैनले ने रिलायंस इंडस्ट्रीज को डाउनग्रेड कर ओवर-वेट से इक्वल-वेट कर दिया और इसका लक्ष्य 1206 रुपए से घटाकर 956 रुपए कर दिया। नतीजतन, रिलायंस 1.83 फीसदी गिरकर 854.40 रुपए पर आ गया। दूसरी वजह थी – रॉयल्टी व लाभ में हिस्सेदारी वाला नया खनन विधेयक, जिसका संसद में पास हो पाना मुश्किल है। इसमें खनन विधेयकऔरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति ठंडी पड़ी, दयानिधि मारन का इस्तीफा हुआ और बाजार तेजी से झूम उठा। किसी को भी भान नहीं था कि निफ्टी यूं 5740 के एकदम करीब तक चला जाएगा। मुझे दुनिया को खुद के सही होने का सबूत देने की जरूरत नहीं है। हालांकि जिंदगी जब तक है, तब तक आलोचक भी रहेंगे। बिग बी तक के आलोचक हैं और क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर के भी। आपको किसी व्यक्ति की उपलब्धिऔरऔर भी