कहां हो विष्ण गुप्त!
दुत्कारा गया जानवर, भिखारी या गरीब किसी कोने में दुबक कर रह जाता है। वो किसी का कुछ नहीं बिगाड़ पाता। लेकिन सत्ता के गलियारों से तिरष्कृत विष्णु गुप्त एक दिन चाणक्य बन पूरे नंद वंश का ही नाश कर नई सत्ता बना डालता है।और भीऔर भी
चुनौती नई ख्वाहिशों की
।।प्रणव मुखर्जी।। भारत आज उस मुकाम पर है जहां कुछ भी करना या पाना असंभव नहीं लगता। साथ ही बहुत सारी चुनौतियां भी हमारे सामने हैं जिन्हें सुलझाकर ही हमने इस दशक के अंत तक विकसित देश के रूप में उभर सकते हैं। इसमें सबसे बड़ी चुनौती है युवा भारत की बढ़ती अपेक्षाएं। यह आबादी का वो हिस्सा है जो बेचैन है। फिर भी डटा हुआ है और सामने आनेवाले हर अवसर को पकड़ने को तैयार है।औरऔर भी