सुप्रीम कोर्ट ने एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) और उसके सचिव को किसी दूसरे की खातिर जनहित याचिका (पीआईएल) दायर करने के लिए अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया है। साथ ही एनजीओ पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। यह मामला एनजीओ द्वारा सुप्रीम कोर्ट व गुजरात हाईकोर्ट में स्टील लॉबी की तरफ से पीआईएल दाखिल करने का है। प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एस एच कापड़िया की अध्यक्षता वाली पीठ ने कल्याणेश्वरी नामक गैर सरकारी संगठनऔरऔर भी

गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी से आग्रह किया है कि उनके लिए प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) में भी कर छूट का प्रावधान जारी रखा जाना चाहिए ताकि संगठनों को कल्याणकारी गतिविधियों के लिए प्रोत्साहन मिलता रहे। ‘टैक्स पेयर्स प्रोटेक्शन एंड वेल्फेयर सोसायटी’ द्वारा राजधानी दिल्ली में जारी एक बयान में कहा गया है, “करों से धर्मार्थ संस्थानों को संसाधन जुटाने में बाधा आएगी और कल्याणकारी गतिविधियां चलाने की उनकी क्षमता घटेगी।” बयान में कहाऔरऔर भी

साल 2009 के अंत तक देश में सक्रिय गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) की संख्या 33 लाख थी। कुल आबादी 120 करोड़ मानें तो हर 365 भारतीय पर एक एनजीओ। इसमें केवल पंजीकृत एनजीओ शामिल हैं। सीधा-सा मतलब है कि देश में अवाम से जुड़ने का एक बड़ा तंत्र सरकार के समानांतर बन चुका है। सबसे ज्यादा 4.8 लाख एनजीओ महाराष्ट्र में हैं। इसके बाद आंध्र प्रदेश में 4.6 लाख, उत्तर प्रदेश में 4.3 लाख, केरल में 3.3 लाख,औरऔर भी