धन कम लोगों को किस्मत और ज्यादातर लोगों को कला और जमाने की समझ से मिलता है। इसलिए अगर आप गरीब पैदा हुए तो इसमें आपकी कोई गलती नहीं। लेकिन आप अगर गरीब रहकर ही मर गए तो इसमें सरासर गलती आपकी है।और भीऔर भी

दुत्कारा गया जानवर, भिखारी या गरीब किसी कोने में दुबक कर रह जाता है। वो किसी का कुछ नहीं बिगाड़ पाता। लेकिन सत्ता के गलियारों से तिरष्कृत विष्णु गुप्त एक दिन चाणक्य बन पूरे नंद वंश का ही नाश कर नई सत्ता बना डालता है।और भीऔर भी

भक्त: हे भगवान! मेरी मनोकामना है कि ये बाजार चढता जाए तो अच्छा रहे। बाजार में किसान, मजदूर आदि सभी ने तरह-तरह के अच्छे अच्छे शेयर ले रखे हैं। इन ईमानदार मेहनती लोगों की गाढ़े पसीने की कमाई अमीर लोग वैसे ही हजम कर जाना चाहते हैं जैसे खड़ी सब्जी की फसल पर किसान को व्यापारी हजम कर जाना चाहता है। (वह कहता है कि सस्ते में फसल बेचो, वरना मैंने तो माल खरीदना नही है, औरऔरऔर भी

महाराष्ट्र में नंदुरबार जिले के आदिवासी गांव थेंभली के 10 बाशिंदों को विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईडी) देने के साथ ही देश के हर नागिरक को अलग पहचान देने की परियोजना आधार की शुरुआत हो गई। इन आदिवासियों ने अपने आधार कार्ड खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथों से हासिल किए। आधार में देश के हर नागरिक को 12 अंकों की संख्या दी जाएगी जो उसकी उंगलियों के निशान से लेकर आंखों कीऔरऔर भी

कृषि, खाद्य व उपभोक्ता मामलों के मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने शुक्रवार को संसद में ऐसा बयान दिया जिससे लगता है कि अगर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के चहेते खाद्य सुरक्षा विधेयक को कानून बना दिया गया तो देश राजकोषीय घाटे के दलदल में घंस जाएगा। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून के अंतर्गत अगर गरीब परिवारों को महीने में 25 किलो अनाज दिया जाता है तो सरकार को 76720 करोड़औरऔर भी

बाल अधिकारों से जुड़ी लगभग सभी संधियों पर दस्तखत करने के बावजूद भारत बाल मजदूरों का सबसे बड़ा घर क्यों बन चुका है? इसी से जुड़ा यह सवाल भी सोचने लायक है कि बाल श्रम निषेध एवं नियंत्रण कानून, 1986 के बावजूद हर बार जनगणना में बाल मजदूरों की तादाद पहले से कहीं बहुत ज्यादा क्यों निकल आया करती है? वैसे, हकीकत इससे भी कहीं ज्यादा भयानक है। दरअसल बाल मजदूरी में फंसे केवल 15% बच्चे हीऔरऔर भी