देश की अर्थव्यवस्था इस साल पिछले तीन सालों की सबसे ज्यादा 9 फीसदी विकास दर हासिल कर सकती है, लेकिन मुद्रास्फीति की दर साल के अंत में रिजर्व बैंक के अनुमान से काफी ज्यादा रहेगी। यही नहीं, खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति तो 19.95 फीसदी पर पहुंच सकती है। वित्त मंत्रालय ने यह अनुमान अर्थव्यवस्था के छमाही विश्लेषण में पेश किया है। मंगलवार को यह विश्लेषण रिपोर्ट वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने संसद के दोनों सदनों में पेशऔरऔर भी

आलू, प्याज और दूसरी सब्जियों की आपूर्ति में सुधार से 23 अक्तूबर को समाप्त सप्ताह में थोक मूल्य पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति की दर करीब फीसदी नीचे खिसककर 12.85 फीसदी रह गई। यह लगातार तीसरा सप्ताह है जब खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट का रुख रहा है। एक सप्ताह पहले यह 13.75 फीसदी दर्ज की गई थी। बुधवार को जारी सरकारी आंकडों के अनुसार सालाना आधार पर आलू के दाम 51.22 फीसदी तक नीचे आ गए जबकि सब्जियोंऔरऔर भी

अचानक उल्लास और उत्साह के बीच आर्थिक मोर्चे से दो बुरी खबरें मिली हैं। जून महीने में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) की वृद्धि दर 13 महीनों के न्यूनतम स्तर 7.1 फीसदी पर पहुंच गई है। यह पिछले साल जून में आर्थिक सुस्ती के बावजूद 8.3 फीसदी थी। दूसरे, कुछ हफ्तों से इकाई में आ गई खाद्य मुद्रास्फीति की दर 31 जुलाई को खत्म सप्ताह में बढ़कर 11.4 फीसदी हो गई है। हालांकि इन दोनों ही नकारात्मक खबरोंऔरऔर भी

सरकार खुश है कि खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति 17 जुलाई को खत्म हफ्ते में इस साल पहली बार इकाई अंक में आ गई है। इसकी दर 9.67 फीसदी है, जबकि एक हफ्ते पहले यह 12.47 फीसदी है। इस तरह खाद्य पदार्थों के थोक मूल्य सूचकांक में 2.80 फीसदी की कमी आ गई है। इसमें खास योगदान आलू-प्याज का है। आलू साल भर पहले की तुलना में 46 फीसदी और प्याज 10 फीसदी से ज्यादा सस्ता हुआ है।औरऔर भी

भारत बंद की व्यापक सफलता के बीच सरकार के आला अधिकारी मुद्रास्फीति पर जल्द ही काबू पा लेने का दावा कर रहे हैं। पहले योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोटेंक सिंह आहलूवालिया ने ऐसी बात कही। उसके बाद वित्त सचिव अशोक चावला ने कहा कि खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति कुछ महीनों के भीतर 5-6 फीसदी के स्वीकार्य स्तर पर आ जाएगी। अशोक चावला ने सोंमवार को राजधानी में राज्य राजमार्गों पर आयोजित एक सम्मेलन के दौरान अलग सेऔरऔर भी