जिस देश के खज़ाना मंत्री को यह न पता हो कि उसके 125 करोड़ निवासियों में से कितने करोड़पति हैं और वो इसके लिए अमीरों की सत्यवादिता पर भरोसा करता हो, उस देश के खज़ाने का भगवान ही मालिक है और तय है कि कर्ज पर उस देश की निर्भरता बढ़ती चली जानी है। दूसरे शब्दों में उसका राजकोषीय घाटा बढ़ते ही जाना है। फिर भी हमारे वित्त मंत्री या खज़ाना मंत्री पी चिदंबरम दावा करते हैंऔरऔर भी

चीन के करीब आधे करोड़पति देश छोड़कर बाहर जाना चाहते हैं। करीब 14 फीसदी करोड़पति या तो देश से बाहर जा चुके है या फिर इसके लिए आवेदन कर चुके हैं। यह बात एक सर्वेक्षण में सामने आई है। मई से सितंबर के बीच हुरुन रिसर्च इंस्टीट्यूट और बैंक ऑफ चाइना की ओर से कराए संयुक्त सर्वेक्षण में 980 प्रतिभागियों में से 46 फीसदी ने देश से बाहर जाने की इच्छा जताई है। सर्वेक्षण के नतीजे ‘प्राइवेटऔरऔर भी

साल 2009 में एशिया में करोड़पतियों की संख्या बढ़कर 30 लाख हो गई है और यह आज तक के इतिहास में पहली बार यूरोप की बराबरी में आई है। यही नहीं, एशिया के करोड़पतियों की कुल संपत्ति 9.7 लाख करोड़ डॉलर रही है जबकि यूरोप के करोड़पतियों की कुल संपत्ति 9.5 लाख करोड़ डॉलर ही रही है। यह निष्कर्ष है मेरिल लिंच-कैपगेमिनी की ताजा वर्ल्ड वेल्थ रिपोर्ट का। रिपोर्ट ने चुटकी लेते हुए कहा है कि जबऔरऔर भी