इस साल संसद के शीत सत्र के अंत तक सभी राज्यों में चल रही मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना) के कामकाज का ऑडिट संसद के सामने रख दिया जाएगा। यह ऑडिट भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (सीएजी) की तरफ से किया जाएगा। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने सोमवार को राजधानी दिल्ली में सीएजी से मुलाकात के बाद यह घोषणा की। मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए श्री रमेश ने कहा कि अक्तूबर केऔरऔर भी

ग्रामीण विकास की सभी योजनाओं पर किए गए व्यय का ऑडिट कैग द्वारा कराया जाएगा। केन्द्रीय ग्रामीण विकास और पेयजल आपूर्ति व स्वच्छता मंत्री जयराम रमेश ने कहा है कि कैग के साथ व्यापक चर्चा के बाद यह सहमति बनी है। इन दोनों मंत्रालयों की सभी योजनाओं के तहत किए गए सारे खर्च का ऑडिट कैग (नियंत्रक व महालेखा परीक्षक) द्वारा की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि इस तरह का ऑडिट केन्द्र सरकार द्वारा ग्रामीण विकास कार्यक्रमोंऔरऔर भी

रक्षा मंत्रालय के पास देश भर में 17 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन है। इस लिहाज से वह देश का सबसे बड़ा भूस्वामी है। उसकी यह जमीन 62 छावनि‍यों और डिफेंस एस्टेट्स में फैली है। जमीन की देखभाल डीजीडीई (डायरेक्टर जनरल ऑफ डिफेंस एस्टेट्स) के जिम्मे है। रक्षा मंत्रालय ने इस जमीन के ऑडिट के लिए विशेष कदम उठाए हैं। हाल के कई घोटालो के मद्देनजर रक्षा भूखंडों के लि‍ए अनापत्‍ति‍ प्रमाणपत्र हासिल करने की प्रक्रि‍या कोऔरऔर भी

दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल का कहना है कि वे देश में उपलब्ध कुल स्पेक्ट्रम का ऑडिट कराने के प्रस्ताव के पक्ष में हैं। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने स्पेक्ट्रम का ऑडिट कराने का प्रस्ताव किया है। कैग द्वारा स्पेक्ट्रम का ऑडिट कराने से यह पता चल सकेगा कि वर्ष 2000 से आगे किस लागत पर निजी दूरसंचार ऑपरेटरों को कितना स्पेक्ट्रम आवटित किया गया। राजधानी दिल्ली में मंगलवार को उद्योग संगठन फिक्की की 83वीं सालाना आमसभाऔरऔर भी

लेफ्ट पार्टियों ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और एक निजी कंपनी के बीच हुए करार को ‘नया घोटाला’ करार दिया है और इस मामले की गंभीरता से जांच किए जाने की मांग की है। खबरों के मुताबिक इसरो ने बिना कोई निविदा प्रक्रिया अपनाए एस-बैंड का दुर्लभ स्पेक्ट्रम एक निजी कंपनी को आवंटित कर दिया है। सीपीएम के पॉलित ब्यूरो सदस्य सीताराम येचुरी ने राजधानी दिल्ली में संवाददाताओं के बताया, “यह एक नया मसला है। इसरोऔरऔर भी

देश की तमाम ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों में सालाना खरीद के टेंडरों में भयंकर पक्षपात व धांधली होती है। यहां तक कि अफसरों व बाबुओ ने तमाम फर्जी कंपनियां बना रखी हैं जिनके नाम ही ज्यादातर टेंडर जारी किए जाते हैं। इन अफसरान की मेज के दराज में ही कंपनियों के लेटरहेड पड़े रहते हैं और वे बिना किसी शर्म के एक ही अंदाज में कई कंपनियों की तरफ से टेंडर भर देते हैं। यह बात ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों मेंऔरऔर भी