देश के ग्रामीण अंचलों में सूद पर सूद लेने का महाजनी चलन अब भी जारी है। कई जगह तो इस काम में कांग्रेस और बीजेपी जैसी स्थापित पार्टियों के सांसद व विधायक तक लगे हुए हैं। लेकिन शहरी इलाकों में बैंक भी इस काम को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। वे इसके लिए सूद पर सूद नहीं, चक्रवृद्धि और साधारण ब्याज के अंतर का फायदा उठाकर ग्राहकों की जेब ढीली कर रहे हैं। अभी कुछ दिनों पहलेऔरऔर भी

किसी सूनी बावड़ी को, पुराने किले, भव्यतम बंगले को भूतबंगला घोषित कर दो। लोगबाग उसकी तरफ झांकने से भी तौबा कर लेंगे। जो गलती से घुस जाएं तो उन्हें लूटखसोट कर इस कदर डरा दो कि दोबारा उधर कदम बढ़ाने की जुर्रत न करें। फिर पब्लिक की निगाहों से दूर मज़े से अंदर बैठकर अपना धंधा चलाते रहो। हमारे यहां शेयर बाज़ार का यही हाल है। बाहर से भूतबंगला बना हुआ है। लोग उससे डरते ही नहीं,औरऔर भी

इनफोसिस, एचडीएफसी बैंक, एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस और इंडिया इनफोलाइन जैसी 45 से ज्यादा कंपनियों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की शेयरधारिता प्रवर्तकों से ज्यादा हो गई है। स्टॉक एक्सचेंजों के पास उपलब्ध सितंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक इनफोसिस की इक्विटी में एफआईआई की हिस्सेदारी 36.66 फीसदी है, जबकि प्रवर्तकों की हिस्सेदारी उनसे 20.62 फीसदी कम 16.04 फीसदी ही है। इसी तरह एचडीएफसी बैंक में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 23.23 फीसदी है, जबकि एफआईआई का निवेश 29.30 फीसदीऔरऔर भी

कमजोर होती यूरोप मुद्रा यूरो और देश के भीतर कॉरपोरेट क्षेत्र व तेल कंपनियों की तरफ से डॉलर की मांग बढ़ती जा रही है तो रुपया गिरता चला जा रहा है। मंगलवार को एक डॉलर 50.76 रुपए का हो गया है जो 31 मार्च 2009 के बाद के 32 महीनों में रुपए का सबसे कमजोर स्तर है। सोमवार को यह डॉलर के सापेक्ष 50.285/295 रुपए पर बंद हुआ था। मंगलवार को रिजर्व बैंक की संदर्भ दर 50.5645औरऔर भी

इक्कीस साल एक महीने पहले सितंबर 1990 से देश में बैंकों की ब्याज दरों को बाजार शक्तियों या आपसी होड़ के हवाले छोड़ देने का जो सिलसिला हुआ था, वह शुक्रवार 25 अक्टूबर 2011 को रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की दूसरी तिमाही समीक्षा के साथ पूरा हो गया। रिजर्व बैंक के गवर्नर दुव्वरि सुब्बाराव ने ऐलान किया, “अब वक्त आ गया है कि आगे बढ़कर रुपए में ब्याज दर को विनियंत्रित करने की प्रकिया पूरी करऔरऔर भी

एचडीएफसी बैंक धंधे के मामले में देश में निजी क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा बैंक है। आईसीआईसीआई बैंक इससे ऊपर है। लेकिन बाजार पूंजीकरण में यह उससे भी ऊपर है। एचडीएफसी बैंक का बाजार पूंजीकरण इस वक्त 1,02,320 करोड़ रुपए है, वहीं आईसीआईसीआई बैंक का 89,762 करोड़ रुपए। दोनों ही बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी में शामिल शेयर हैं। लेकिन जिस तरह अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों की कुदृष्टि हमारे बैंकिंग सेक्टर पर पड़ी है, उसमें हो सकता हैऔरऔर भी

खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्रालय अपने पास खाद्य प्रसंस्‍करण क्षेत्र में हुए निवेश के आंकड़े नहीं रखता है। यह जानकारी खुद खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्री डॉ. चरणदास महंत ने संसद में एक सवाल के लिखित जवाब में दी। यही नहीं, जिस ई-पोर्टल के जरिए मंत्रालय के पास बैंक व वित्तीय संस्थाएं प्रस्तावित परियोजनाओं की जानकारी भेजती हैं, उसका संचालन निजी क्षेत्र का एचडीएफसी बैंक करता है। मंत्री महोदय ने मंगलवार को लोकसभा में बताया कि एचडीएफसी बैंक सेऔरऔर भी

बीएसई सेंसेक्स में शामिल 30 शेयरों में पांच ऐसे हैं जिन्होंने चालू साल 2011 की पहली छमाही में बाजार को मात दी है। 3 जनवरी 2011 को बाजार में कारोबार के पहले दिन और छमाही के आखिरी दिन 30 जून 2011 को सेंसेक्स और इन शेयरों के बंद भाव के अंतर को देखकर साफ हो जाता है कि कैसे इन्होंने बाजार की दिशा से अलग हटकर बढ़त हासिल की है। सेंसेक्स के ये पांच पांडव है –औरऔर भी

चाइना कंस्ट्रक्शन बैंक इंटरनेशनल के बैंक रिसर्च प्रमुख पॉल शुल्टे ने ईटी नाऊ को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि भारतीय बैंकों के स्टॉक्स दुनिया में सबसे महंगे हैं। भारतीय बैंक औसतन 15 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहे है, जबकि इंडोनेशिया के बैंक 13 और चीन के बैंक 9 के पी/ई अनुपात पर। पॉल शुल्टे ने एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एसबीआई को महंगा बताया और एक्सिस बैंक के बारे में कहा कि जो लोगऔरऔर भी

इस समय देश के 13 बैंक मोबाइल से पैसों के लेनदेन की सुविधा (इंटरबैंक मोबाइल पेमेंट सर्विस या आईएमपीएस) दे रहे हैं। लेकिन नए वित्त वर्ष की शुरुआत यानी 1 अप्रैल 2011 से 12 अन्य बैंक भी यह सेवा शुरू कर देंगे। यह दावा है मोबाइल पेमेंट फोरम ऑफ इंडिया (एमपीएफआई) का। फोरम ने गुरुवार को हैदराबाद में बयान दिया कि मोबाइल बैंकिंग भुगतान सेवा फ़िलहाल 13 बैंक दे रहे हैं और 31 मार्च 2011 तक 12औरऔर भी