मैंने कल ही आवेगी शेयरों से बचने की सलाह दी थी। आईएफसीआई आज इसका पहला शिकार हो गया। सरकार ने कहा है कि वो इससे लिए बांडों को इक्विटी में बदल देगी। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार को आईएफसीआई के 52 करोड़ अतिरिक्त शेयर मिल जाएंगे। 520 करोड़ रुपए का यह निवेश इसकी 737.84 करोड़ रुपए की मौजूदा इक्विटी का लगभग 70 फीसदी है। जाहिर है कि इक्विटी बढ़ जाने के बाद कंपनी का मूल्यांकन अभीऔरऔर भी

1947 में आजाद हुआ देश और 1947 में ही बनी अतुल लिमिटेड। यह अरविंद मिल्स के लालभाई समूह की कंपनी है। इसके छह बिजनेस डिवीजन हैं – एग्रो केमिकल, एरोमैटिक्स, बल्क केमिकल व इंटरमीडिएट, रंग, फार्मा संबंधी उत्पाद व पॉलिमर और सभी स्वतंत्र रूप से धंधा बढ़ाने में लगे रहते हैं। कंपनी के 36,000 से ज्यादा शेयरधारक हैं। उसके दफ्तर अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, चीन व वियतनाम तक में हैं जहां से वह अपने विदेशी ग्राहकों की जरूरतेंऔरऔर भी

पिछले तीन महीनों में वीसा स्टील का शेयर 45 रुपए से करीब 15% घटकर 38 रुपए के आसपास आ गया है। 7 अप्रैल 2010 को यह ऊपर में 45.80 और नीचे में 43.70 तक जाने के बाद 44.15 रुपए पर बंद हुआ था। कल 7 जुलाई 2010 को इसका बंद भाव बीएसई में 38.55 और एनएसई में 38.40 रुपए रहा है। सवाल उठता है कि क्या ढलान पर लुढकते इस शेयर से पैसा बनाया सकता है? जानकारऔरऔर भी

रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) की एजीएम के एजेंडा के बारे में कल एक ऐसी अफवाह उड़ाई गई, जो सचमुच बेहद चौंकानेवाली थी। बड़ी अजीब बात है कि प्रबंधन कुछ तय करे या न करे, बाजार के खिलाड़ी उससे पहले ही मनगढ़ंत एजेंडा तय कर देते हैं। आज सुबह हमारी मीटिंग में इस पर चर्चा हुई और पाया गया कि आरआईएल के बारे में उड़ाई गई बात एकदम असंभव है। यह उसी तरह की शरारत थी जैसी हमने कलऔरऔर भी