सही व काम की शिक्षा पर किया गया खर्च कभी बेकार नहीं जाता। वो तो निवेश की तरह है जिसमें अभी उठाई गई थोड़ी-सी तकलीफ बाद में बड़े आराम का आधार बन जाती है। इसलिए शिक्षा को कभी उपभोग नहीं, हमेशा निवेश मानना चाहिए।और भीऔर भी

आठ घंटे सोना, आठ घंटे काम करना और आठ घंटे मौज-मस्ती। दिन के चौबीस घंटे का यह आदर्श विभाजन है। ऐसा संतुलन बन जाता तो मजा आ जाता। लेकिन आदर्श भी कभी सच होते हैं भला!और भीऔर भी