जानने की शुरुआत चौंकने से होती है। जिस दिन हम चौंकना बंद कर देते हैं, उसी दिन से नया जानने की सिलसिला रुक जाता है। ज्ञान की धारा अवरुद्ध हो जाती है। इसलिए चौंकना कभी मत छोड़िए।और भीऔर भी

अवरुद्ध रंध्रों को खुल जाने दो। बंधे हुए बांधों को टूट जाने दो। ठहरे हुए झरनों को गिर जाने दो। आंधी आने को है। अबाध ऊर्जा का धमाका होने को है। सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। अवाम उठने को है। देश जगने को है।और भीऔर भी