बीते साल 1 दिसंबर 2022 तो जब से निफ्टी 18,885 अंक के ऊपर गया, तभी से हल्ला था कि वो कभी भी 20,000 अंक के पार जा सकता है। लेकिन चार महीने बीतते-बीतते भी ऐसा होने के कोई आसार नहीं दिख रहे। जिन विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लाए धन पर शेयर बाज़ार चढ़ा था, वे खरीदने के बजाय बराबर बेचे जा रहे हैं। इसलिए हमारे बाज़ार की हवा निकली पड़ी। कारण यह भी है कि छोटे समय में हवाबाज़ी शेयर बाज़ार को चढ़ा सकती है। मगर लम्बे समय में अर्थव्यवस्था की मूलभूत ताकत ही बाज़ार की तेज़ी को संभाल पाती है। दिक्कत यह है कि भले ही हम दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का दावा कर लें। लेकिन दुखद सच्चाई यह है कि प्रति व्यक्ति आय में हम दुनिया के 197 देशों में 142वें नंबर पर हैं। अब सोमवार का व्योम…
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