रिजर्व बैंक रेपो और रिवर्स रेपो दरों में बार-बार कमी किए जाने बावजूद बैंकों के कर्ज की रफ्तार न बढऩे से चिंतित है। तीन हफ्ते पहले ही रिवर्स रेपो दर को घटाकर 3.5 फीसदी कर दिया गया है, फिर भी बैंक उसके पास इसके तहत हर दिन हजारों करोड़ रुपए जमा करा रहे हैं। रिजर्व बैंक बैंकों को ऐसा करने से रोकने के लिए तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत हर दिन दो बार खोली जानेवाली यह खिडक़ी ही बंद कर सकता है। बैंकिंग सूत्रों ने यह संभावना व्यक्त करते हुए कहा कि रिजर्व बैंक के पास ऐसा करने का पूरा अधिकार है और वह अस्थाई तौर पर इस अधिकार का इस्तेमाल कर सकता है।
रिजर्व बैंक में डीजीएम स्तर के एक अधिकारी ने अपना नाम न जाहिर करने की शर्त पर स्वीकार किया कि यह सुविधा एक दिन या छु़ट्टियों के समय दो-तीन दिन की होती है और रिजर्व बैंक कभी भी बैंकों से कह सकता है कि वह इस सुविधा में उनसे पैसे नहीं लेगा। बैंकों के कर्ज देने की रफ्तार नहीं बढ़ी तो दरें घटाने के बजाय यह कदम उठाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि 21 अप्रैल को नए साल की मौद्रिक नीति की घोषणा से पहले फिलहाल अभी रेपो और रिवर्स रेपो दर में कमी की संभावना न के बराबर है। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने इसी महीने की 4 तारीख को दोनों दरों में आधा फीसदी की कमी की है। रिजर्व बैंक द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों के एवज में बैंकों को उधार देने की दर यानी रेपो दर अभी 5 फीसदी है, जबकि बैंकों द्वारा जमा कराई गई रकम पर रिजर्व बैंक द्वारा दी जानेवाली ब्याज, यानी रिवर्स रेपो की दर अभी 3.5 फीसदी है।
यूनियन बैंक के कार्यकारी निदेशक टी वाई प्रभु का कहना है कि रिवर्स रेपो दर इस समय बैंकों द्वारा बचत खाते पर दी जानेवाली ब्याज दर 3.5 फीसदी के बराबर हो गई है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि रिजर्व बैंक रिवर्स रेपो दर को घटा नहीं सकता। वह इसे घटाकर 2.5 या 1 फीसदी भी कर सकता है। लेकिन इससे बैंकों के कर्ज देने की रफ्तार बढऩे की कोई गारंटी नहीं है। उन्होंने बताया कि इस समय आर्थिक सुस्ती की वजह से कर्ज की मांग काफी घट गई है। बिक्री घट जाने से कंपनियां इनवेंटरी भी कम रख रही है। इसलिए उन्हें ज्यादा कर्ज लेना वाजिब नहीं लगता। दूसरे जो कंपनियां या उद्यमी कर्ज लेने के लिए आगे आ रहे हैं, उनकी परियोजनाओं की व्यावहार्यता संदिग्ध है। प्रभु से इस संदर्भ में कॉमर्शियल रीयल एस्टेट का खास जिक्र किया।
इस तरह अजीब-सा दुष्चक्र बना हुआ है। 27 फरवरी 2009 तक व्यावसायिक बैंकों द्वारा दिए गए कर्ज की वद्धि दर 18.3 फीसदी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह वृद्धि दर 22.1 फीसदी थी। 27 मार्च से 13 मार्च के बीच इन सभी बैंकों ने कुल 22,423 करोड़ रुपए के नए कर्ज बांटे हैं। जबकि रिवर्स रेपो में इस हफ्ते बैंकों ने 23 मार्च को 31,840 करोड़ रुपए, 24 मार्च को 26,440 करोड़ रुपए, 25 मार्च को 44,435 करोड़ रुपए और 26 मार्च को 13,750 करोड़ रुपए रिजर्व बैंक के पास जमा कराए हैं।