भारती, आइडिया, आईडीबीआई में दम

बजट के बाद के इस सेटलमेंट पर काफी दबाव है क्योंकि एक बार ब्याज दरें बढ़ाई जा चुकी हैं और माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक एक बार फिर ब्याज दरें (रेपो व रिवर्स रेपो दरें) बढ़ा सकता है। वैसे, सारा लब्बोलुआव यह है कि फंडिंग पूरी तरह रुकी पड़ी है और जो निवेशक कर्ज के भरोसे सौदे कर रहे हैं, उनसे कहा गया है कि वे ए और बी ग्रुप के शेयरों में अपनी पोजिशन घटाएं।

रोलओवर भी कमोबेश ठंडा रहा। केवल आर्बिट्रेज व हेज सौदों का रोलओवर हुआ। बाकी कोई बड़ी गतिविधि नहीं हुई। पिछले दो कारोबारी सत्रों में करीब दर्जन भर ब्रोकर अपने शॉर्ट सौदों को आगे बढ़ाने की कोशिश करते दिखे। लेकिन बाजार में अप्रैल के सेटलमेंट में माफिक सौदों के अभाव में उन्हे नए सिरे से शॉर्ट होना पड़ा।

हकीकत यह है कि जब तक निफ्टी 5300 का स्तर पार नहीं करता, तब तक मंदी की चाह वाले कारोबारी या मंदड़िए शॉर्ट कवरिंग के लिए आगे नहीं आएंगे। असल में उन्हें इस बात से काफी संबल मिल रहा है कि अप्रैल में रिजर्व बैंक ब्याज दरें बढ़ा सकता है। हालांकि अमेरिकी बाजार नई ऊंचाई की तरफ आगे बढ़ रहा है और डाउ जोंस 11,000 अंक के काफी करीब है (एस एंड पी सूचकांक का स्तर 1200)। फिर भी बराबर इस बात की गुंजाइश है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की हालत के मद्देनजर वहां करेक्शन आ सकता है। वैसे आय बढ़ने पर उसे शेयरधारकों में वितरित किया जा सकता है।

29 मार्च 2010 से ताजा फंडिंग शुरू होगी जिससे बाजार में कारोबार की मात्रा बढ़ सकती है। अब वित्त वर्ष 2009-10 बीतने को है तो कल से बाजार का ध्यान कंपनियों की आय पर रहेगा और इसके आधार पर रैली शुरू होने के आसार हैं।

हमारा जोर तब तक कुछ ही स्टॉक्स पर रहेगा, जब तक बाजार पूरे रंग में और अपनी सर्वश्रेष्ठ स्थिति में नहीं आ जाता। जिन लोगों को बाजार की गति पर भरोसा नहीं है वे चाहें तो मेरे पीछे चलने के बजाय मंदड़ियों की डगर पर चल सकते हैं या खुद अपने दिमाग का इस्तेमाल कर सकते हैं।

भारती के साथ करार के बाद जेडएआईएन (ज़ैन) का शेयर 60 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुका है। उसका बाजार पूंजीकरण पहले 14 अरब डॉलर है और अब 20 अरब डॉलर हो गया है। इस बात को बहुत से विश्लेषक भारती के लिए बड़ा नकारात्मक मानते हैं। उनका मानना है कि चूंकि ज़ैन ने अपनी खराब आस्तियां बेच दी हैं इसलिए उसका शेयर बढ़ा है। इसके चलते ट्रेडर यहां भारती में शॉर्ट हो गए हैं यानी भारती के गिरने की धारणा के साथ उन्होंने इसके शेयरों को बेचने का सौदा कर डाला है। वैसे, मुझे लगता है कि भारती के प्रमुख सुनील मित्तल इन सारी बातों से अच्छी तरह वाकिफ हैं और ज़ैन को खरीदने का उनका फैसला गलत नहीं हो सकता क्योंकि इससे पहले वे एमटीएन को किसी भी कीमत पर हासिल करने की पुरजोर कोशिश कर चुके हैं। इसी तरह की गलती विश्लेषक या एनालिस्ट टाटा स्टील और टाटा मोटर्स में कर चुके हैं जिसकी उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ी थी। प्रवर्तक, जो आस्तियां खरीद रहा है, उसके बारे में उसका फैसला ही सर्वश्रेष्ठ होता है। बाजार माकूल वक्त आने पर इसे समझ जाएगा।

मेरा मानना है कि इस समय भारती, आइडिया, एस्सार ऑयल, इस्पात इंडस्ट्रीज और आईडीबीआई निवेश के लिए सबसे उपयुक्त शेयर हैं।

यह कभी मत भूलिए कि अच्छा या बुरा परिणाम आपके हाथ में नहीं होता। लेकिन प्रयास करना हमेशा आपके हाथ में है। गीता में भी कहा गया है कर्मण्येवाधिकास्ते, मा फलेषु कदाचन…

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है लेकिन फालतू के वैधानिक लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *