बाजार में सरकारी कंपनी गैल इंडिया के शेयरों में जमकर सौदे हो रहे हैं। कारोबार के पहले घंटे में ही एनएसई में इसके 6.20 लाख और बीएसई में 67 हजार शेयरों के सौदे हुए हैं। आज शेयर में खास उठान अभी तक नहीं दिखी है। पहले अनुमान था कि आज यह शेयर बढ़कर 420 रुपए के आसपास खुलेगा। मंगलवार को बीएसई में यह 411.10 रुपए और एनएसई में 410.95 रुपए पर बंद हुआ था। लेकिन फिलहाल इसके भाव में बाजार के मूड जैसा ठंडापन है। बीएसई में कल इसके 14.27 लाख और एनएसई में 33.53 लाख शेयरों के सौदे हुए। इन भारी भरकम सौदों को देखते हुए ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसमें कारोबारियों की दिलचस्पी बढ़ चुकी है। इस शेयर ने इसी साल 19 जनवरी 2010 को 449.40 रुपए का शिखर छुआ है, जबकि पिछले साल 23 अप्रैल 2009 को 241 रुपए का न्यूनतम स्तर पकड़ा था। शेयर का अंकित मूल्य 10 रुपए का है। यह बीएसई के ए ग्रुप में शामिल है और बीएसई-100 सूचकांक का हिस्सा है। यानी इसमें डेरिवेटिव सौदे भी जमकर होते हैं।
कंपनी में भारत सरकारी की इक्विटी हिस्सेदारी 57.99 फीसदी है, जबकि म्यूचुअल फंडो व बीमा कंपनियों जैसी संस्थाओं की 29.92 फीसदी और एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) की हिस्सेदारी 12 फीसदी है। इसमें व्यक्तिगत निवेशकों का हिस्सा महज 2.18 फीसदी है। बड़े निवेशकों की मौजूदगी ही दिखाती है कि कंपनी में कितना दमखम है। इसलिए बड़ों की राह पर चलते हुए छोटे निवेशकों को जरूर इसमें हिस्सेदारी लेनी चाहिए। वैसे भी पब्लिक सेक्टर में पब्लिक की हिस्सेदारी नहीं होगी तो किसकी होगी।
कंपनी ने दिसंबर 2009 की तिमाही में 6205.71 करोड़ रुपए की आय पर 859.59 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। वित्त वर्ष 2008-09 में उसकी आय 23980.80 करोड़, शुद्ध लाभ 2803.70 करोड़ और प्रति शेयर लाभ (ईपीएस) 22.10 रुपए था। वित्त वर्ष 2009-10 में कंपनी के शानदार नतीजों की उम्मीद है। कंपनी ने सीएमडी बीसी त्रिपाठी ने इसी हफ्ते सोमवार को बताया था कि कनाडा की कंपनी इंटरऑयल कॉर्प की पापुआ न्यू गिनी की प्राकृतिक गैस परियोजना में इक्विटी लेने के लिए बातचीत कर रही है। इंटरऑयल के साथ मिलकर चीन की प्रमुख कंपनी चाइना नेशनल ऑफशोर ऑयल कॉर्प पहले से काम कर रही है।