कटे-फटे, दाग-धब्बे वाले नोट अब बैंक के पास जाने के बाद सर्कुलेशन में नहीं

भारतीय रिजर्व बैंक ने तय कर दिया है कि अब कटे-फटे, दाग-धब्बे या किसी भी तरीके से खराब हो चुके नोटों को दोबारा सर्कुलेशन में न आने देने की जिम्मेदारी बैंकों की होगी। उन्हें नोट छांटनेवाली ऐसी मशीनें लगानी होंगी जो तय कर सकें कि कोई नोट सही व फिट है या नहीं। ये मशीनें जाली नोट भी निकालकर बाहर कर देंगी। बैंक उऩ्हीं नोटों को दोबारा सर्कुलेशन में डालेंगे जो एकदम सही और फिट पाए जाएंगे। रिजर्व बैंक ने आज नोटों की गुणवत्ता तय करने के अंतिम मानक जारी कर दिए और इन्हें सभी बैंकों के शीर्ष प्रबंधन के पास भेज दिया है। ये नए मानक तत्काल प्रभाव से लागू कर दिए गए हैं।

रिजर्व बैंक ने नोटों की फिटनेस व सही होने के दिशानिर्देशों का प्रारूप 23 दिसंबर 2009 को जारी किया था। उसके बाद सभी पक्षों की प्रतिक्रिया मिलने के बाद अब इन्हें अंतिम रूप दे दिया गया है। इसमें कहा गया है कि फिट नोट वही है जो असली हों और इतने साफ हो कि वह कितने का है, इसका पता आसानी से लग सके। रिजर्व बैंक ने खराब नोटों के लिए हर तरह के मानक भी निर्धारित किए हैं। साथ ही उसका कहना है कि वह समय-समय पर कुछ सीरीज के नोट बंद करता है। ऐसे नोटों को सर्कुलेशन में फिर से न आने देने की जिम्मेदारी बैंकों की होगी, भले वे नोट एकदम कड़क और नए जैसे ही क्यों न हों।

नोटों के प्रामाणिक/असली और फिट होने की जांच के लिए बैंकों को कैश हैंडलिंग मशीनें लगानी होंगी। जिन शाखाओं में रोजाना एक करोड़ रुपए या इससे ज्यादा कैश आता है, उनमें यह मशीनें मार्च 2010 के अंत तक लगा ली जानी थीं, जबकि रोजाना 50 लाख रुपए से एक करोड़ रुपए तक कैश हैंडल करनेवाली शाखाओं को इस तरह की मशीनें मार्च 2011 तक लगा लेनी हैं। ये मशीनें अगर पाती हैं कि कोई नोट निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं है तो उसे संदिग्ध बताकर किनारे कर देंगी।

जिन नोटों को दोबारा सर्कुलेशन में नहीं आने दिया जाएगा, उनमें गंदे हो गए नोट, कड़कपन खो चुके नोट, मुड़े-तुड़े फटे नोट, छेद वाले नोट, चित्रकारी या कुछ लिख दिए गए नोट, बेरंग या धुल गए नोट और चिपकाए गए नोट शामिल हैं। ध्यान देने की बात यह है कि कुछ रसिया किस्म के लोग नोटों पर आई लव यू जैसे संदेश या अपना नाम वगैरह लिख मारते हैं। ऐसे नोट अब बैंक के पास जाने के बाद फिर से सर्कुलेशन में नहीं आएंगे। इसी तरह कोई नोट अगर कपड़े के साथ धुल गया है और एकदम बेरंग व मुड़-तुड़ गया है तो बैंक की कैश हैंडलिंग मशीन उसे भी मिसफिट करार देगी। होली के रंग, तेल या स्याही लगे नोट भी चलन से बाहर कर दिए जाएंगे। जिन नोटों को गोंद या टेप लगाकर चिपकाया गया है उन्हें भी दोबारा सर्कुलेशन में आने से रोकने की जिम्मेदारी बैंकों की होगी।

इस बारे में रिजर्व बैंक के एक अधिकारी ने स्पष्ट किया कि इसका मतलब यह नहीं कि बैंक प्रामाणिक नोटों को लेने से ही मना कर देंगे। नकली नोटों को वे हर हाल में खारिज कर देंगे और इनकी रिपोर्ट भी तय नियमों के हिसाब से पुलिस के पास की जाएगी। लेकिन जो नोट असली हैं, वे कितने भी खराब हैं, बैंक उन्हें लेने से मना नहीं कर सकते क्योंकि ऐसा हर नोट एक लीगल टेंडर होता है। हां, ऐसे खराब हो चुके नोट फिर से चलन में न आएं, इसे सुनिश्चित करने का काम बैंकों का है। रिजर्व बैंक ने इसीलिए अब हर तरह की खराबी के बारे में स्पष्ट दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं।

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