आंकड़े निर्जीव नहीं

कभी ये मत सोचना कि इन बेजान आंकड़ों से हमारा क्या लेना-देना। हरेक आंकड़े का वास्ता किसी न किसी जिंदगी से होता है। वे कहीं न कहीं चल रहे जीवन के स्पंदन का हिसाब-किताब होते हैं।

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