पहली जुलाई 2010 या उसके बाद किसी भी यूलिप (यूनिट लिंक्ड इश्योरेंस पॉलिसी) के पेंशन प्लान में सुरक्षा कवच या सम-एश्योर्ड रखना जरूरी होगा। बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए ने सोमवार को सभी जीवन बीमा कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों को एक सर्कुलर भेजकर यह निर्देश दिया है। अभी तक पेंशन प्लान में जीवन बीमा कंपनियां कुछ भी सम-एश्योर्ड नहीं देती हैं। पॉलिसी काल में अगर बीमाधारक की मृत्यु हो जाती है तो उसे तब तक अपना जमा प्रीमियम की फंड वैल्यू (निवेश का बढ़ा हुआ मूल्य) ही मिलता है। अगर वह पॉलिसी की तय अवधि तक जिंदा रहता है तो उसे पूरा निवेश मिल जाता है जिसे वह कहीं लगाकर हर महीने पेंशन पा सकता है। लेकिन अब नए सर्कुलर के मुताबिक जीवन बीमा कंपनी को पेंशन प्लान में लाइफ कवर भी देना होगा।
यह सर्कुलर 1 जुलाई 2010 से लागू होगा। इसके बाद कोई जीवन बीमा कंपनी अपने पेंशन प्लान इन्हीं शर्तों को पूरा करते हुए ही ला सकती है। लेकिन आईआरडीए ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि पुराने यूलिप पेंशन प्लान पर नए नियम लागू होंगे या नहीं। एक बीमा प्रोफेशनल का कहना है कि आईआरडीए को यह स्पष्ट करना चाहिए था क्योंकि लाइफ कवर देते ही पुराने प्लान में मॉर्टैलिटी शुल्क भी काटना पड़ेगा और ऐसा न करने पर कंपनियां पुराने प्लान में लाइफ कवर नहीं दे पाएंगी। नए पेंशन प्लान पर न्यूनतम सम-एश्योर्ड या लाइफ कवर कितना होगा, यह यूलिप के सामान्य दिशानिर्देशों के तहत होगा। यह मोटे तौर पर एक साल प्रीमिमय के प्रीमियम का कम से कम पांच गुना होता है। इसे पॉलिसी की अवधि (साल) को सालाना प्रीमियम और 0.5 से गुणा करके भी निकाला जाता है।
आईआरडीए ने नए सर्कुलर में कुछ पुरानी बातें दोहराई हैं। जैसे, व्यक्तिगत पॉलिसी की अवधि या टर्म कम से कम पांच साल का होना चाहिए, जबकि सामूहिक यूलिप पॉलिसी हर साल पर रिन्यू की जाएगी। यूलिप के एवज में पॉलिसीधारक को कोई ऋण नहीं मिल सकता। बीमा नियामक ने यह भी स्पष्ट किया है कि यूलिप के हेल्थ इंश्योरेंस प्लान पर मृत्यु लाभ या लाइफ कवर देना अनिवार्य नहीं है। यूलिप में पेंशन प्लान के अलावा बाकी प्लान में आंशिक निकासी पांच साल के बाद हो सकती है। लेकिन पेंशन प्लान में ऐसा नहीं हो सकता।
इसमें बीमा कंपनी को पॉलिसी के अंत तक हासिल की गई फंड वैल्यू को एन्यूटी (वार्षिकी) में बदल देना होगा। लेकिन बीमाधारक चाहें तो उसका अधिकतम एक तिमाही एकमुश्त भुगतान के रूप में ले सकता है। बाकी दो तिहाई फंड वैल्यू से उसे एन्यूटी खरीदनी होगी, जिसके आधार पर उसे पेंशन मिलेगी। पेंशन प्लान के तीन साल बाद बीमाधारक उसमें अतिरिक्त या टॉप-अप प्रीमियम डाल सकता है। हर टॉप-अप प्रीमियम को सिंगल प्रीमियम मानकर बीमा कंपनी को उस पर लाइफ कवर देना होगा जो उसका कम से कम 125 फीसदी (सवा गुना होना चाहिए। हर टॉप-अप प्रीमियम पर तीन साल का लॉ-इन पीरियड रहेगा।
गौरतलब है कि आईआरडीए को यह कदम यूलिप पर नियंत्रण को लेकर पूंजी बाजार नियामक संस्था सेबी के साथ उभरे टकराव के बाद उठाना पड़ा है। सेबी ने कहा था कि यूलिप मूलतः निवेश उत्पाद हैं क्योंकि इनमें जमाराशि का केवल 2 फीसदी तक हिस्सा ही बीमा कवर में जाता है। चूंकि यूलिप के पेंशन प्लान में एक धेला भी बीमा कवर में नहीं जाता था क्योंकि वहां बीमा कवर था ही नहीं, इसलिए आईआरडीए को फौरन पेंशन प्लान में बीमा कवर जोड़ने का फैसला करना पड़ा। वैसे, आईआरडीए के चेयरमैन जे हरिनारायण का कहना है कि हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हर यूलिप प्लान में बीमा कवर हो। आगे से कोई भी ऐसा यूलिप प्लान नहीं बेचा जा सकता जिसमें लाइफ कवर या सुरक्षा कवच न हो।
जानकारी के लिए आभार।
घुघूती बासूती