राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में गरीबी रेखा से ऊपरवालों को भी लाने पर विचार

सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई) को शुरुआती दो सालों में मिली सफलता से इतनी उत्साहित है कि वह इसके दायरे में गरीबी रेखा से ऊपर के परिवारों को भी लाने पर विचार कर रही है। यह जानकारी आज श्रम व रोजगार मंत्रालय में श्रम कल्याण विभाग के महानिदेशक अनिल स्वरूप ने दी। वे नई दिल्ली में फिक्की द्वारा स्वास्थ्य बीमा पर आयोजित एक वर्कशॉप में बोल रहे थे। अभी यह योजना केवल गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) परिवारों के लिए है। इसे 1 अक्टूबर 2007 को लांच किया गया था।

उन्होंने कहा कि इस योजना का मुख्य मकसद बीपीएल परिवारों को अस्पताल में भर्ती होने की सूरत में पड़नेवाले आर्थिक बोझ से बचाना है। इसके तहत इन परिवारों के सदस्यों को ज्यादातर बीमारियों में अस्पताल में भर्ती होने पर 30,000 रुपए का कवर दिया जाता है। यह अस्पताल सरकारी भी हो सकता है और प्राइवेट भी। इस कवर में मियां-बीवी व उन पर तीन आश्रित शामिल रहते हैं। परिवार को केवल 30 रुपए रजिस्ट्रेशन शुल्क भरना होता है। बाकी प्रीमियम केंद्र व राज्य सरकारें बीमा कंपनी को देती हैं। बीमा कंपनी का चयन हर राज्य सरकार प्रतिस्पर्धात्मक बोली के आधार पर करती है।

सबसे खास बात यह है कि इसमें मरीज के साथ ही दूसरे संबंधित पक्षों का भी फायदा है। अस्पताल को बीमा कंपनी से 30,000 रुपए तक का सीधे भुगतान मिल जाता है और बीमा कंपनियों को करोडों लोगों को कवर देने के लिए सरकार से प्रीमियम मिल जाता है। इससे गांवों के गरीब भी कुछ हद तक स्थानीय सूदखोरों के चुंगल में फंसने से बच जाते हैं। महंगे इलाज के चलते उन्हें कर्ज तो अब भी लेना पड़ता है, लेकिन थोड़ी राहत तो मिल ही जाती है।

दूसरे, इस योजना में भ्रष्टाचार की गुंजाइश न के बराबर है। हर बीपीएल परिवार के सदस्यों को बायोमेट्रिक स्मार्ट कार्ड दिया जाता है। इसमें उनकी उंगलियों को निशान से लेकर फोटो तक रहता है। अनिल स्वरूप ने बताया कि अभी तक 1.45 करोड़ स्मार्ट कार्ड जारी किए जा चुके हैं और हर दिन औसतन 70,000 नए कार्ड जारी किए जा रहे हैं। सारा भुगतान इलेक्ट्रॉनिक तरीके से किया जाता है। इसीलिए दूसरी सरकारी योजनाओं की तरह इसमें कोई लीकेज नहीं होता। असल में यह एक तरीके की स्वास्थ्य सब्सिडी है जो सीधे न देकर अस्पताल व बीमा कंपनी के जरिए गरीब परिवारों तक पहुंचाई जाती है।

स्वरूप के मुताबिक यह पहला ऐसा बिजनेस मॉडल है जिसमें किसी सामाजिक योजना से सभी पक्षों को प्रोत्साहन और लाभ मिल रहा है। इसलिए इस योजना का विस्तार भी हो रहा है और इसे लंबे समय तक टिकाया व चलाया भी जा सकता है। बता दें कि इसमें आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जैसी कई बीमा कंपनियां और फिनो (एफआईएनओ) जैसी संस्थाएं शामिल हैं और उऩ्हें इससे काफी लाभ भी मिल रहा है।

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