मुद्रास्फीति की दर में गिरावट का सिलसिला शुरू हो गया है। खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति 24 अप्रैल को खत्म हफ्ते में 16.04 फीसदी रही है, जो इसके ठीक पहले 16 अप्रैल के हफ्ते में 16.61 फीसदी थी। इस बीच केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने अनुमान जताया है कि थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर अगले तीन महीनों में घटकर 6-7 फीसदी पर आ सकती है और फिलहाल विदेश से आनेवाली पूंजी के प्रवाह पर किसी तरह का अंकुश लगाने की जरूरत नहीं है।
कौशिक बसु ने राजधानी दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र संगठन एसकैप (यूएन इकोनॉमिक सोशल कमीशन फॉर एशिया एंड पैसिफिक) की एक रिपोर्ट को जारी करने के बाद कहा कि मुझे उम्मीद है कि मुद्रास्फीति अब नीचे का रुख करेगी। अगले तीन महीनों में यह ऊपर-नीचे होती रहेगी। लेकिन उसके बाद इसमें तेज गिरावट आएगी। बता दें कि मार्च में थोक मूल्य पर आधारित मुद्रास्फीति की दर 9.9 फीसदी रही है, जबकि रिजर्व बैंक का अनुमान 8.5 फीसदी का ही था। इसके बढ़ने की खास वजह खाद्य पदार्थों की महंगाई रही है जिनकी मुद्रास्फीति अब भी 16 फीसदी के ऊपर है, जबकि दिसंबर 2009 में यह 20 फीसदी को भी पार कर गई थी।
एसकैप की रिपोर्ट में भी खाद्य वस्तुओं की कीमतों के बढ़ने को चिंता का विषय बताया गया है। लेकिन उसका मानना है कि रिटेल स्तर पर इसकी महंगाई की दर इस साल 7.5 फीसदी पर आ जाएगी, जबकि पिछले साल यह 12 फीसदी के आसपास थी। रिपोर्ट के मुताबिक 2009 में खराब मानसून के चलते मुद्रास्फीति का दबाव बन गया था। दूसरे दुनिया में जिंसों के दाम भी बढ़ गए थे।
लेकिन इस साल मौसम विभाग ने सामान्य मानसून की भविष्यवाणी की है जिससे अनाजों का उत्पादन बढने से उनकी कीमतें नीचे आ सकती हैं। इस अनुमान के बाद बाजार में खाद्य पदार्थों से जुड़ी सट्टेबाजी भी कम हो गई है। गौरतलब है कि लेफ्ट समेत हमारी तमाम विपक्षी पार्टियां खाद्य वस्तुओं की महंगाई को लेकर सट्टेबाजी, खासकर उनकी फ्यूचर ट्रेडिंग को जिम्मेदार ठहराती रही हैं। लेकिन सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने इसी साल मार्च महीने में कहा था कि फ्यूचर ट्रेडिंग से अनाज या दूसरे जिंसों के दाम नहीं बढ़ते।
बसु का कहना था कि वे व्यक्तिगत रूप से जिंसों में फ्चूचर ट्रेडिंग के पक्ष में हैं क्योंकि इससे मुद्रास्फीति की हालत नहीं बिगड़ती। फ्यूचर ट्रेडिंग कीमतों के सही निर्धारण का एक सक्षम तरीका है और यह बेहद अहम है क्योंकि उद्योग-व्यापार जगत इससे कीमतों के उतार-चढ़ाव के जोखिम को संभालता है। हालांकि उनका कहना था कि जिन भी जिंसों में फ्यूचर ट्रेडिंग की अनुमति दी जाती है, उनके इस कारोबार पर अंकुश जरूरी है। नहीं तो लोगों के साथ धोखा होने की आशंका बनी रहती है।