उल्लू बनाते हैं ये चार्ट वाले एनालिस्ट

बाजार के ज्यादातर कारोबारी निफ्टी में शॉर्ट थे और टकटकी लगाए देख रहे थे कि कब स्क्रीन पर निफ्टी के लिए 5040 का अंक चमकता है। मेरी जिन भी 15-20 रिटेल प्रमुखों और दूसरे लोगों से बात हुई, सभी करेक्शन का इंतजार कर रहे थे। अभी हालत यह है कि या तो वे शॉर्ट हैं या 15 मार्च तक अग्रिम कर अदायगी के लिए बाजार से पैसे निकाल रहे हैं। कुछ तो यहां तक मानते हैं कि फिलहाल कैश पर कुंडली मारकर बैठे रहना ज्यादा अच्छा होगा।

बाजार में फंडिंग रुक चुकी है, जिसे हम बी ग्रुप के शेयरों की ढीलीढाली चाल से देख सकते हैं। साथ ही जानेमाने खिलाड़ी बेचनेवालों को किसी भी दाम पर निकलने का मौका दे रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि हफ्ते-दस दिन में बी ग्रुप के शेयरों में नई खरीद होगी और हमेशा की तरह चपत रिटेल निवेशकों को ही लगेगी। होगा यह है कि जब दाम ऊपर पहुंच चुके होंगे, तब रिटेल निवेशक खरीद में उतरेंगे।

मैं देख रहा हूं कि हमने जिन शेयरों में खरीद की सिफारिश की थी, ऐसे कम से कम दर्जन भर शेयरों में काफी खरीद हो चुकी है। अब इन शेयरों में धमाके का इंतजार है। एक बात की ओर मैं दोबारा आपका ध्यान खींचना चाहूंगा कि धंधे में लगे कुछ लोग यानी एनालिस्ट दिखाते हैं कि वे अपने चार्टों की बदौलत बाजार की सटीक भविष्यवाणी कर सकते हैं। लेकिन दरअसल वे आपको मूर्ख बनाते हैं। आपको याद दिला दूं कि सबसे अच्छे ब्रोकर हाउसों में शुमार एक फर्म ने बजट के पहले 42 पेज की रिपोर्ट में घुमा-घुमाकर यही बताया था कि निफ्टी जल्दी ही 3800 पर पहुंचनेवाला है। लेकिन असल में क्या हुआ? इसी ब्रोकर हाउस ने डाउ जोंस में बिक्री की कॉल दी थी और उसका कहना है कि यह 9500 तक पहुंचेगा, जबकि मेरा मानना है कि डाउ जोंस अभी उठाव के दौर में है।

पते की बात यह है कि बाजार के फंडामेंटल या मूल आधारों से चार्ट बनता है, न कि चार्ट बाजार की दशा-दिशा तय  करते हैं। यह बात आप सभी को गांठ बांध लेनी चाहिए। मैंने एक न्यूज चैनल पर कुछ टेक्निकल विशेषज्ञों को यह दावा करते हुए भी सुना है कि बाजार की गिरावट का पहले से अनुमान लगाने में उनका पक्का ट्रैक रिकॉर्ड है और इस बार निफ्टी का 3800 पर तो जाना तय है। हो सकता है कि यह 3300 तक भी चला जाए। आज भी मैंने कुछ विदेशी विशेषज्ञों को कहते हुए सुना कि बाजार (निफ्टी) को गिरकर 4500 के स्तर पर आ जाना चाहिए।

अब सवाल उठता है कि क्या यह उनकी मनोकामना है जिसे वे चैनलों पर व्यक्त कर रहे हैं या वे अपने विचार पेश कर रहे हैं क्योंकि उनके खुद के सौदों की स्थिति उनके विचार या मनोकामना से मेल नहीं खाती। सवाल यह भी है कि क्या इस बारे में कोई नियम-कायदे बनाए जाने चाहिए? अमेरिका में नियम है कि कोई रिसर्च फर्म किसी स्टॉक के बारे में छह महीने तक अपनी सिफारिश नहीं बदल सकती जब तक ऐसा कुछ भयंकर न हो जाए कि उन्हें अपनी धारणा बदलनी पड़े। लेकिन इस बाबत भी उसे पूरा खुलासा करना होगा।

निफ्टी आज 5160 पर बंद हुआ जो 5142 के निशान से ऊपर है। यह इस बात का साफ संकेत है कि निफ्टी अब मई के स्तर 5280 की तरफ बढ़ रहा है। इस तेजी की अगुआई  करेगी रिलायंस इंडस्ट्रीज। आप जानते ही है कि बाजार के इस शहंशाह पर मेरी राय अभी तक कभी गलत नही ठहरी है।

कामयाबी उन्हीं के हाथ लगती है जो लीक छोड़कर चलते हैं। लीक पर चलना तो कायरों का काम है, बहादुरों का नहीं।

(चमत्कार चक्री एक काल्पनिक नाम है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है लेकिन फालतू के वैधानिक लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। अंदर की बात बताना और सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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