अच्छी खबर पर चहकता नहीं बाजार

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आंकड़े उम्मीद से बेहतर रहे थे। फिर भी बाजार बढ़त के स्तर को बनाए नहीं रख सका। यह अजीब, मगर सच है। बाजार के साथ अक्सर ऐसा ही होता है कि अच्छी खबर का उतना असर उस पर नजर नहीं आता।

खैर, बाजार के ऊपर बढ़ने का रुझान अभी थमा नहीं है। बल्कि, आईआईपी के अच्छे आंकड़े, एनएमडीसी के इश्यू का शांति से सब्सक्राइब हो जाना… सब यही दिखाता है कि बाजार के और अच्छे दिन आ रहे हैं। वैसे, खुशी की बात यह है कि बाजार हफ्ते के उच्चतम स्तर पर बंद हुआ है और यह साल के शिखर के भी काफी करीब है। एनएमडीसी के मूल आधार को ध्यान में रखें तो उसमें 450 रुपए पर निवेश करना भी फायदे का सौदा रहता। लेकिन माहौल ऐसा बनाया गया कि सरकार को एफपीओ के बड़े आकार के कारण इसका मूल्य घटाने को मजबूर होना पड़ा। मूल्य का दायरा घटाकर 300 से 350 रुपए करने का एकमात्र मकसद यह था कि बड़ों के हाथ में पूरे इश्यू को जाने से बचा लिया जाए। लेकिन लगता नहीं कि यह मकसद पूरा हुआ है। कम मूल्य के बावजूद इसमें बड़ी संस्थाओं व निवेशकों ने  बड़ा दांव लगाया है। दरअसल, ऐसी सूरत में सरकार को कभी सार्वजनिक क्षेत्र की किसी कंपनी को पूरी तरह निजी क्षेत्र को बेचकर, उसका पूरा प्रबंधन निजी क्षेत्र को सौंप कर आजमाना चाहिए और ओपन बिडिंग के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए।

देश में ऑफशोर का व्यवसाय बढ़ रहा है। हमने गरवारे ऑफशोर को 130 रुपए के भाव पर पकड़ा था और अब इसका बाजार भाव 195 रुपए चल रहा है। यह फिर से रेटिंग किए जाने की जरूरत दिखाता है। कैसे, इसे आप वेबसाइट www.expressoffshore.com पर जाकर समझ सकते हैं। अगले हफ्ते से बाजार में रोलओवर का दौर शुरू हो रहा है और बी ग्रुप के शेयरों में ढुलमुलपन जारी है। हमें इस दौरान शांति बनाए रखनी होगी क्योंकि फ्यूचर्स व ऑप्शंस सेगमेंट में नए सेटलमेंट से कारोबार बढ़ने की उम्मीद है। साथ ही बी ग्रुप में फंडिंग के प्रभाव से चाल आने के आसार हैं।

मेरा एक एनालिस्ट दोस्त हाल ही में मारुति के प्रमुख से मिला और उनसे पूछा कि ऑटो उद्योग में आगे क्या होनेवाला है। उन्होंने बताया कि अगले दो सालों में इस उद्योग में कोई समस्या नहीं आनेवाली है। असल में ज्यादातर ऑटो निर्माता कंपनियां कंपोनेंट की सप्लाई को लेकर चिंतित हैं और हो सकता है कि इसके लिए वे कुछ कंपोनेंट इकाइयों के विलय व अधिग्रहण का तरीका अपनाएं। इसलिए ऑटो कंपोनेंट उद्योग के शेयरों पर निगाह गड़ाए रखने की जरूरत है।

निफ्टी अब 5100 के स्तर के पार जा चुका है जो मंदी की चाह रखनेवाले खिलाड़ियों द्वारा की गई शॉर्ट सेल के भाव से काफी ज्यादा है। इसलिए मैं तो पहले 5280 और फिर 5400 के लक्ष्य तक खरीद की सलाह दूंगा। मंदड़ियों का यह मंसूबा पूरा होने के आसार नहीं हैं कि निफ्टी 4950 तक पहुंच जाएगा। बाजार के रुख से तो यही लग रहा है कि वह इस समय बेहद सतर्क है।

ज्यादा चौकन्ना रहना भी अच्छी बात नहीं है। अक्सर सर्दी-जुकाम उन्हीं को पकड़ता है जो जरा-सी ठंड पड़ते ही मफलर से लेकर दस्ताने तक निकाल लेते हैं।

(चमत्कार चक्री एक काल्पनिक नाम है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है लेकिन फालतू के वैधानिक लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। अंदर की बात बताना और सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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