एफआईआई बेचें तो खरीदे है कौन!

रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) फिर कोल इंडिया को पीछे छोड़ बाजार पूंजीकरण में देश की पहले नंबर की कंपनी बन गई। आज उसका बाजार पूंजीकरण 2,50,648 करोड़ रुपए रहा, जबकि कोल इंडिया 2,47,538 करोड़ रुपए पर आ गई। ऊपर से कोल इंडिया को आज एक विदेशी ब्रोकिंग हाउस ने डाउनग्रेड भी कर दिया, जबकि यह अभी तक एफआईआई का सबसे चहेता स्टॉक बना हुआ है।

मोटी-सी बात है कि अगर सेंसेक्स में शामिल कंपनियों के लाभार्जन को डाउनग्रेड किया जाता है, देश की आर्थिक विकास दर को नीचे लाया जाता है तो कोयले की मांग अपने-आप कम हो जाएगी। इसलिए मुझे तो लगता है कि कोल इंडिया का डाउनग्रेड आज नहीं तो कल होना ही था। आप सभी जानते ही होंगे कि कोल इंडिया ने बेहतर नतीजे अन्य आय की बदौलत ही हासिल किए हैं। जून 2011 की तिमाही में उसकी आय सिर्फ 123.07 करोड़ रुपए थी, जबकि अन्य आय 4731.87 करोड़ रुपए थी जिसकी बदौलत उसका शुद्ध लाभ 4541.59 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। यही हाल वित्त वर्ष 2010-11 में था, जबकि आय 413.76 करोड़, अन्य आय 5084.25 करोड़ और शुद्ध लाभ 4696.10 करोड़ रुपए था।

मेरा कहना है कि जिनके पास भी कोल इंडिया है, उनके लिए बेहतर रहेगा जो वे वहां से निकलकर आरआईएल में चले जाएं। आरआईएल जल्दी ही फिर से बाजार में सबसे आगे पहुंच जाएगी। वैसे, बाजार इस समय बेहद खतरनाक दौर से गुजर रहा है। बाजार के उस्ताद भारी उथल-पुथल पैदा करेंगे। अमेरिका का वोलैटिलिटी सूचकांक (वीआईएक्स) 42 पर है और भारत का भी वोलैटिलिटी सूचकांक 29-30 कर रहा है। यह दिखाता है कि अभी की स्थिति लेहमान संकट के बाद जैसी हो चली है, जब बाजार में बढ़ने का क्रम शुरू होने से पहले बहुत ज्यादा उथल-पुथल बढ़ गई थी।

इसका क्या अभिप्राय है? ट्रेडर के लिए, अगर वे बराबर ट्रेड किए जाते हैं तो यह स्थिति दुःस्वप्न साबित होगी। लेकिन अगर वे थोड़ा कम जोखिम लेते हुए ट्रेड करते हैं और हर गिरावट पर खरीद की रणनीति अपनाते हैं तो उनके लिए धन बनाने का यह अच्छा मौका है। बाजार की दूरगामी दिशा बहुत ही तेजी की है। लेकिन यह मत सोचिए कि महज दो हफ्ते में सब ठीक हो जाएगा। बाजार को पहले थोड़ा थिर होने दें और खुद सारा पैटर्न समझने पर दिमाग लगाएं।

कल एफआईआई ने इक्विटी बाजार में 786 करोड़ रुपए की शुद्ध बिकवाली की और डीआईआई ने 143 करोड़ रुपए की शुद्ध खरीद की। मेरा सवाल है कि एफआईआई द्वारा बाकी 643 करोड़ रुपए के स्टॉक्स किसने खरीदे? अगर आप इसका उत्तर जानते हैं तो समझिए कि बाजी आपकी हो गई।

लेहमान संकट के बाद भारत में एफआईआई ने महज एक महीने में 6 अरब डॉलर के स्टॉक्स बेच डाले थे और कुछ लोगों ने इसे खरीदा था। कौन थे ये कुछ लोग? सभी जानते हैं कि डीआईआई के पास इतना खरीदने की औकात नहीं है। बल्कि, ऐसे दौर में तो ज्यादातर डीआईआई विमोचन के दबाव में आ जाते हैं। निवेशकों को धन लौटाना होता है तो वे कम भावों पर भी बिकवाली करने लगते हैं। अपने निर्णय को वाजिब ठहराने के लिए वे बाजार में निचले स्तर पर बेचने की सिफारिशें डलवाने लगते है। आमतौर पर निवेशक इस सच्चाई को देखते जरूर हैं, पर समझ नहीं पाते।

दूरगामी धारणा वाले निवेशकों को इस समय बाजार में उतर जाना चाहिए। अगर निफ्टी 4800 से नीचे चला जाता है तो उन्हें 10 फीसदी घाटे की फौरी तकलीफ उठानी पड़ सकती है। लेकिन यह अगर खुद को 5120 रुपए के ऊपर ले जाकर टिका लेता है तो निवेश का ऐसा मौका आपको फिर दोबारा कभी नहीं मिलेगा। मैंने आपको सोना 800 डॉलर प्रति औंस के भाव पर 3300 डॉलर प्रति औंस के लक्ष्य के साथ खरीदने को कहा था। आपसे कहा भी था कि मेरा कहा कट-पेस्ट कर रख लें। सोना 2000 डॉलर के करीब पहुंच चुका है। अब भी मेरा मानना है कि यह 3300 डॉलर को पार करेगा। हालांकि इस समय तमाम लोग इसके 5000 डॉलर तक जाने की भी बात करने लगे हैं।

तो, एक बार फिर मैं आपको बता रहा हूं कि निफ्टी 7000 के पार जाएगा और यह इकलौता मौका है जब आपको कहीं से भी धन जुटाकर शेयरों में निवेश कर देना चाहिए। असल में 1 सितंबर से डेरिवेटिव्स (एफ एंड ओ) में वोल्यूम और घट जाएगा क्योंकि सेबी के नए सर्कुलर के मुताबिक अपफ्रंट मार्जिन अब देना जरूरी हो गया है। मार्क टू मार्केट भी उसी दिन देना होगा। इसका मतलब यह हुआ कि डेरिवेटिव्स में बाजी खेलने के लिए आपको हमेशा 20 फीसदी बैंक बैलेंस मुक्त रहना पड़ेगा।

मैं उस व्यक्ति को ज्यादा बहादुर मानता हूं जो अपनी इच्छाओं को जीत लेता है, बनिस्बत उसके जो अपने दुश्मनों को जीत लेता है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का फीस-वाला कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)

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