सत्ता के सच को कभी सच मानने की गलती नहीं करनी चाहिए। वो अपने काम का ही सच पेश करती है। जब श्रीकृष्ण तक शंख के शोर में अधूरे सच को पूरा सच बना देते हैं तो औरों का क्या भरोसा?
2011-11-29
सत्ता के सच को कभी सच मानने की गलती नहीं करनी चाहिए। वो अपने काम का ही सच पेश करती है। जब श्रीकृष्ण तक शंख के शोर में अधूरे सच को पूरा सच बना देते हैं तो औरों का क्या भरोसा?
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