जिसके हाथ-पांव बंधे हैं, दिल-दिमाग अंधेरी खोह में निर्वासित है, उसके लिए आज क्या और कल क्या! जब जिंदगी ही नहीं है तो आज की रात को आखिरी रात मान भी ले तो दिन को जी कहां पाएगा?
2011-05-04
जिसके हाथ-पांव बंधे हैं, दिल-दिमाग अंधेरी खोह में निर्वासित है, उसके लिए आज क्या और कल क्या! जब जिंदगी ही नहीं है तो आज की रात को आखिरी रात मान भी ले तो दिन को जी कहां पाएगा?
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