टाइड वॉटर में स्प्लिट या बोनस!

टाइड वॉटर ऑयल (बीएसई कोड-590005) की चर्चा हमने सबसे पहले इस कॉलम में 24 मई को की थी। तब इस शेयर ने 5674 रुपए का नया शिखर बनाया था। उस वक्त बाजार में जोर-शोर से कहा जा रहा था कि कंपनी अपने दस रुपए अंकित मूल्य के शेयर को एक रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में बांट सकती है। अभी तक कंपनी की तरफ से ऐसी कोई घोषणा नहीं हुई है। लेकिन हमारे नियमित व जानकार पाठक राजीव लगातार कई दिनों से यह बात सामने ला रहे हैं कि कंपनी एक पर एक बोनस शेयर देने की घोषणा कर सकती है।

बाजार में भी इसी तरह के कयास चल रहे हैं। शायद यही वजह है कि सोमवार को इसका शेयर बीएसई में 10,399 रुपए की नई चोटी पर पहुंच गया। हालांकि बंद हुआ 10.52 फीसदी की बढ़त के साथ 9603.20 रुपए पर। जाहिर है कि अगर 24 मई को किसी ने बाजार चर्चाओं के जोखिम को समझते हुए इसमें निवेश किया होता तो उसे ढाई महीने में शिखर से शिखर तक की यात्रा में 83 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न मिल गया होता। कंपनी का ट्रेडिंग लॉट एक शेयर का है। इसलिए इसका भाव देखकर भड़कने की जरूरत नहीं है। शेयर में अच्छी लिक्विडिटी है क्योंकि वह एनएसई में भी लिस्टेड है।

इस बीच कंपनी चालू वित्त वर्ष 2010-11 में जून तिमाही के नतीजे घोषित कर चुकी है। इस दौरान उसने 165.92 करोड़ रुपए की आय पर 16.89 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। वित्त वर्ष 2009-10 में कंपनी की आय 564.72 करोड़ रुपए, शुद्ध लाभ 57.79 करोड़ रुपए और ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 663.34 रुपए था। इस समय कंपनी टीटीएम (ट्रेलिंग ट्वेल्व मंथ्स, या ठीक पिछले 12 महीनों का) ईपीएस 676.08 रुपए और उसका शेयर 14.20 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। कंपनी के शेयर की बुक वैल्यू 2507.47 रुपए है। दूसरे शब्दों में इसका शेयर बुक वैल्यू से लगभग चार गुने पर चल रहा है। पी/ई अनुपात के लिहाज से इंडियन ऑयल 25.91 के अनुपात के साथ इससे महंगा शेयर है, जबकि गल्फ ऑयल 14.67 के अनुपात के साथ लगभग इसी के स्तर पर है।

टाइड वॉटर ऑयल इंजीनियरिंग व बिजली से लेकर चाय व लुब्रिकेंट में सक्रिय समूह एंड्यू यूल से जुड़ी हुई है। वह 1928 में बनी कंपनी है और वीडॉल ब्रांड के लुब्रिकेंट बनाती है। उसके पांच संयंत्र हावड़ा, ओरागदम, तुर्भे, सिलवासा और फरीदाबाद में है। उसके ईपीएस के इतना ज्यादा होने की सबसे बड़ी वजह यह है कि उसकी इक्विटी या चुकता पूंजी महज 87.12 लाख रुपए है। इसका 26.22 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है और बाकी 72.78 फीसदी पब्लिक के पास जिसमें से 14.31 फीसदी शेयर घरेलू निवेशक संस्थाओं के पास हैं। यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के पास कंपनी की 10.04 फीसदी इक्विटी है।

एक बात तो तय है कि कंपनी को अपनी इक्विटी पूंजी हर हालत में बढ़ानी है। इसके लिए उसे बोनस लाना पड़ सकता है या एफपीओ। दोनों ही सूरत में शेयर में आगे चाल बनी रहने की संभावना है। लेकिन भाव मई से अब तक काफी बढ़ चुके हैं। इसलिए आज की तारीख में निवेश का फैसला काफी सोच-विचार कर करना होगा क्योंकि बोनस आते ही उसी अनुपात में शेयर का भाव भी घट जाता है और आपके निवेश की कीमत पहले जितनी ही रहती है, बस शेयरों की संख्या बढ़ जाती है।

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