निपट ही जाएंगे फौरी लटके-झटके

डीएमके के छह मंत्रियों का केंद्र सरकार से बाहर निकलना एक नौटंकी है जो सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस की रजामंदी से रची जा रही है। सारे मंत्रियों के हटने के बावजूद यूपीए सरकार को डीएमके का बाहर से समर्थन जारी है, जारी रहेगा। इसलिए केंद्र सरकार के वजूद को कोई खतरा नहीं है। हां, संसद के भीतर समीकरण थोड़े जरूर बदल जाएंगे। डीएमके के 18 सांसद जाएंगे तो मुलायम की समाजवादी पार्टी के 22 सांसद सरकार को मिल जाएंगे।

हाल-फिलहाल राजनीति रूप से असली खतरा है 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सीबीआई की चार्जशीट, जो 10 मार्च को दाखिल की जाएगी। उसके सामने के बाद स्थितियां स्पष्ट होंगी। लेकिन 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले का मामला निपटते ही बाजार में तेजी का दौर शुरू हो जाएगा। आज की गिरावट बाजार को लगा तात्कालिक झटका है। इसने शॉर्ट सेलिंग करनेवालों को और ज्यादा शॉर्ट कर सौदों को सुलटाने का मौका दे दिया है।

कच्चे तेल में बढ़ते दामों ने बाजार को धर दबोचा है। हर कोई कच्चे तेल की दशा-दिशा की बात करने लगा है जैसे सभी रातोंरात अर्थशास्त्री बन गए हों। इसे आपको सामने नए भूत के रूप में पेश किया जा रहा है। हकीकत यह है कि चीन और भारत ने अंतरराष्ट्रीय बाजार से फिलहाल तेल खरीदना बंद कर दिया है। इसलिए चालू मार्च महीने के अंत तक कच्चे तेल का गिरना तय है। वैसे भी, कच्चा तेल हमारे लिए कभी भी बड़ी चिंता का विषय नहीं रहा है। 2006 और 2007 में हम महंगाई के दौर में इसे परख चुके हैं।

यह सब तात्कालिक घटनाक्रम है जिनसे बाजार पर खास फर्क नहीं पड़ना चाहिए। लेकिन सटोरिये बाजार को उठाना-गिराना चाहते हैं तो भयंकर चंचलता बनी हुई है। ऑपरेटरों के अलावा एफआईआई भी इस सटोरिया हरकत में शामिल हैं। फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में फिजिकल सेटलमेंट का न होना उनकी मदद कर रहा है। लेकिन बजट के बाद बाजार में संस्थागत खरीद बढ़ी है। यहां तक कि ऐसे एफआईआई जो अभी तक भारतीय बाजार को ज्यादा महंगा मान रहे थे, वे भी अब एंट्री कर रहे हैं।

मेरा मानना है कि बजट को जितना लोगों से समझा है, वो उससे बेहतर है। गुबार अब थमने लगा है। हालांकि तात्कालिक घटनाएं बाजार पर असर दिखाती रहेंगी। निफ्टी में थोड़ा उतार-चढ़ाव भी चलता रहेगा। लेकिन आनेवाले महीनों में वो 6000 से ऊपर पहुंचने की ही दिशा में आगे बढ़ेगा।

इन हालात में मैं आपसे यही कह सकता हूं कि बाजार से जितना बटोर सकें, बटोर लें। आईएलएफएस, आईवीआरसीएल, एचडीआईएल अच्छे स्टॉक्स हैं। डीएलएफ भी दुरुस्त है। टाटा स्टील 800-900 रुपए तक जा सकता है। कृषि, इंफ्रास्ट्रक्चर व मेटल सेक्टर निवेश का अच्छा अवसर दे रहे हैं। साथ ही घरेलू खपत पर टिकी उन स्मॉल कैप कंपनियों के स्टॉक खरीदे जा सकते हैं जो अभी 5 से कम पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहे हैं।

अच्छा युद्ध और बुरी शांति जैसी कोई चीज न कभी रही है और न कभी होगी।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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