जानी-मानी रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में सौ से ज्यादा लिस्टेड कंपनियों के अध्ययन के बाद निष्कर्ष निकाला है कि फंडामेंडल स्तर पर मजबूत कंपनियां दो से पांच साल में पूरे बाज़ार से बेहतर रिटर्न देती हैं। अप्रैल 2011 से मार्च 2013 के बीच ऐसी कंपनियों ने निफ्टी से 2.2% और सीएनएक्स मिडकैप सूचकांक से 5% ज्यादा सालाना चक्रवृद्धि रिटर्न दिया है। हम यहां ऐसी ही कंपनियों को छांटकर पेश करते हैं। आज एक औरऔरऔर भी

लोग कहते हैं कि भारत में निवेश की लांगटर्म स्टोरी खत्म हो गई। लेकिन ऐसा अमेरिका, जापान या जर्मनी में हो सकता है, भारत में नहीं। कारण, बड़े देशों में अर्थव्यवस्था या तो ठहराव की शिकार है या कांख-कांख कर बढ़ रही है, जबकि भारत में असली उद्यमशीलता तो अब करवट ले रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था को कम-से-कम अभी 25 साल लगेंगे खिलने में। तब तक यहां फलता-फूलता रहेगा लांगटर्म निवेश। परखते हैं ऐसा ही एक निवेश…औरऔर भी

कॉरपोरेट दुनिया में हालात इतनी तेजी से बदल जाते हैं कि बहुत सावधान न रहिए तो चूक हो ही जाती है। हमने 17 जून 2010 को जब बसंत कुमार बिड़ला समूह की नामी कंपनी केसोराम इंडस्ट्रीज के बारे में लिखा था, तब उसका शेयर 328.95 रुपए पर था। शेयर की बुक वैल्यू इससे ज्यादा 335.97 रुपए थी। टीटीएम ईपीएस 51.88 रुपए तो शेयर मात्र 6.3 पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा था। लगा कि बिड़ला परिवार कीऔरऔर भी

मुथूत फाइनेंस। दो हाथी सूड़ से सूड़ टकराते हुए। बड़े-बड़े दावे। बड़े-बड़े विज्ञापन। पब्लिक से पैसे जो जुटाने हैं!! आईपीओ इसी सोमवार 18 अप्रैल को खुलेगा। कंपनी कहती है कि वह भारत की सबसे बड़ी गोल्ड फाइनेंसिंग कंपनी है और हर दिन के उसके औसत कस्टमर 67,953 हैं। महीने, साल गिन लीजिए। अरे, जब इतने ही कस्टमर हैं तो पब्लिक को 5.15 करोड़ शेयर जारी करने की जरूरत क्यों पड़ गई? एक तरफ कहती है कि वहऔरऔर भी