केंद्र सरकार ने देश में गरीबी के आकलन और गरीबों की पहचान के नए तौर-तरीके सुझाने के लिए एक अलग विशेषज्ञ दल बनाने का फैसला लिया है। यह दल प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के प्रमुख डॉ. सी रंगराजन की अध्‍यक्षता में बनाया जाएगा। इसमें कई जानेमाने अर्थशास्त्री शामिल है। इनमें प्रमुख हैं: इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्‍थान के निदेशक डॉ. महेन्‍द्र देव, दिल्‍ली स्‍कूल ऑफ इकॉनोमिक्‍स के पूर्व प्राध्‍यापक डॉ. के सुन्‍दरम, सीएमआईई के प्रमुख डॉ.औरऔर भी

क्या सरकार से मुफ्त मिली चीजों का मोल लोगों की आय तय करने के लिए उनके खर्च में शामिल किया जा सकता है? लेकिन हमारे योजना आयोग ने इसी करामात की बदौलत 1.80 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाल लिया है। उसने सरकार की मिड डे मील स्कीम का फायदा लेनेवाले बच्चों के परिवारों की आय में इसका खर्च शामिल कर लिया है। अभी पिछले हफ्ते योजना आयोग की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिकऔरऔर भी

देश में गरीबी कम होने पर योजना आयोग के ताजा आंकड़ों के बाद संसद में नया बवाल मच गया है। लेकिन योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने इस पर सफाई दी है कि इन आंकड़ों को किसी भी सरकारी योजना के लाभार्थियों से जोड़कर देखना सही नहीं है। अहलूवालिया पहले ही इसी तरह का तर्क देते रहे हैं। बता दें कि सोमवार को योजना आयोग की ओर से जारी आंकड़ों में कहा गया है किऔरऔर भी

राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य बीमा योजना के तहत जारी स्मार्ट कार्डों की संख्या 31 दिसंबर 2011 तक 2.57 करोड़ पर पहुंच चुकी है। इससे 29.25 लाख से ज्‍यादा लोग अस्‍पताल में भर्ती होने की सुविधा ले चुके थे। इस योजना को गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के लिए अक्‍टूबर 2007 को शुरू किया गया था और अप्रैल 2008 से अमल में लाया गया। इसमें सालाना प्रीमियम का 75% भारत सरकार देती है, जबकि 25% राज्य सरकारें देती हैं।औरऔर भी

हमारे योजना आयोग ने ग्रामीण इलाकों में 26 रुपए की गरीबी रेखा नहीं बदली। लेकिन चीन ने तय किया है कि उसके गांवों में प्रतिदिन एक डॉलर यानी करीब 50 रुपए से कम कमाने वाले व्यक्ति को गरीब माना जाएगा। अभी तक उसकी गरीबी रेखा 55 सेंट थी जिसे अब 92% बढ़ा दिया गया है। विश्व बैंक ने गरीबी रेखा का अंतरराष्ट्रीय मानक 1.25 डॉलर रखा है और चीन अब इसके बेहद क़रीब है। लेकिन भारत अभीऔरऔर भी

करीब दो हफ्ते से देश में छिड़ा 32-26 का विवाद आखिरकार अपना रंग ले आया। तय हुआ है कि अभी गरीबी रेखा का जो भी पैमाना है और योजना आयोग राज्यवार गरीबी का जो भी अनुमान लगाए बैठा है, आगे से उसका कोई इस्तेमाल ग्रामीण इलाकों में गरीबों की आर्थिक मदद के लिए बनी केंद्र सरकार की योजनाओं या कार्यक्रमों में नहीं किया जाएगा। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोटेंक सिंह अहूवालिया और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयरामऔरऔर भी

एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने कहा है कि खाद्य वस्तुओं की कीमत में वृद्धि से एशियाई देशों के 6.4 करोड़ अतिरिक्त लोग गरीबी रेखा के नीचे जा सकते हैं। इस साल अब तक एशिया के कई देशों में खाद्य वस्तुओं की कीमत में औसतन 10 फीसदी की वृद्धि हुई है। ‘ग्लोबल फूड प्राइस इनफ्लेशन एंड डेवलपिंग एशिया’ शीर्षक से जारी एडीबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू खाद्य वस्तुओं की कीमत में 10 फीसदी कीऔरऔर भी