अनिल अग्रवाल के वेदांता समूह की कंपनी स्टरलाइट इंडस्ट्रीज का शेयर गिरता ही चला जा रहा है। इस साल जनवरी में 195.90 रुपए पर था। अभी 151 रुपए पर है, साल भर पहले 25 अगस्त 2010 को हासिल न्यूनतम स्तर 149 रुपए के करीब। जो रुझान है उसमें हो सकता है कि नया न्यूनतम स्तर ही बन जाए। किया क्या जाए? जिनके पास हैं, वे क्या करें और जिनके पास नहीं हैं, वे क्या करें। कंपनी यकीननऔरऔर भी

उड़ीसा के जगतसिंह पुर जिले में दक्षिण कोरियाई कंपनी पोस्को की प्रस्तावित इस्पात परियोजना का हश्र पश्चिम बंगाल में टाटा की सिंगूर परियोजना जैसा होता दिखाई दे रहा है। अपनी भूमि दे चुके किसानों को उचित मुआवजा देने और अन्य शर्तो को पूरा करने की मांग पर अड़े स्थानीय निवासियों ने सड़क व रेलमार्ग रोक दिया है। इससे मंगलवार को तीसरे दिन भी पोस्को परियोजना का काम-काज बंद रहा। उधर कोलकाता से मिली खबर के अनुसार माओवादियोंऔरऔर भी

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उनको इतनी मिर्ची लग जाएगी, अंदाजा नहीं था। दुख इस बात का है कि छल-प्रपंच में लगी स्पीक एशिया की तरफदारी ऐसे लोग कर रहे हैं जो बड़ी ईमानदारी व मेहनत से घर-परिवार चलाते हैं। मानस कुमार भले ही स्पीक एशिया के घोटालेबाज टीम से सदस्य हों, लेकिन महेश, हरप्रीत, रंजीत, अजीत, धीरज रावत, नितेश और ‘बेनामी’ झलक तक हमारे-आप जैसे लोग हैं जो अपनी व अपनों की जिंदगी में खुशियां बिखेरना चाहते हैं। झलक की यहऔरऔर भी

उड़ीसा में लगभग 52,000 करोड़ रुपए की लागत वाली पॉस्को स्टील परियोजना के लिए स्थानीय लोगों के सहयोग से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया धीरे-धीरे जोर पकड़ रही है। गांव वालों ने अपना विरोध मांगों को पूरा करने का आश्वासन मिलने के बाद वापस ले लिया है। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (पारादीप) सरोजकांत चौधरी ने बताया, ‘‘दो दिन के अंतराल के बाद, कल शुरू हुई भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया, पोलंगा, बायानाला और नोलियासाही गांव के लोगों के सहयोग सेऔरऔर भी

दक्षिण कोरिया की कंपनी पोस्को को भारत की जमीन पर पैर रखने में बराबर मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। काफी रगड-धगड़ के बाद उड़ीसा में उसकी प्रस्तावित इस्पात परियोजना को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की हरी झंडी मिली तो राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण का काम शुरू कर दिया। लेकिन शुक्रवार को भूमि अधिग्रहण के इस काम में खलल पड़ गया। ग्रामीणों ने 52,000 करोड़ रुपए की इस परियोजना के लिए अपनी जमीन के अधिग्रहण केऔरऔर भी

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने आज इस बात से इन्कार किया कि पोस्को स्टील परियोजना को लेकर उड़ीसा सरकार के साथ केंद्र कोई भेदभाव कर रहा है। उन्होंने उल्टे यह दावा किया कि यह मसला अब राज्य सरकार के पाले में है और परियोजना पर प्रगति के लिए कदम उसी को ही उठाने हैं। उड़ीसा के दो दिन के दौरे पर जयराम रमेश ने भुवनेश्वर में समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट से कहा, ‘‘हमने पोस्को परियोजना केऔरऔर भी

भारत युवाओं का देश, जहां की 65 फीसदी आबादी 35 साल के नीचे की है। इस युवा देश की नई पीढी खुली और तेजी से बढती अर्थव्यवस्था के साथ जवान हुई है। इसी माहौल में पला-बढ़ा हमारा नया निवेशक भी देश की अर्थव्यवस्था में भागीदारी करता है। पर ज्यादातर कामयाब नहीं हो पाता। कारण वित्तीय जानकारी या साक्षरता का अभाव। सब कुछ बदल चुका है या बदलाव पर है। सोच से लेकर दिनचर्या, नियामक से लेकर नियम,औरऔर भी

कुछ लोगों को यकीनन बुरा लग सकता है कि जिस कंपनी की शुद्ध बिक्री दिसंबर 2010 की तिमाही में 287.49 करोड़ रुपए रही हो, जिसने पिछले वित्त वर्ष 2009-10 में 812.26 करोड़ की शुद्ध बिक्री हासिल की हो, उसके शेयर को चिरकुट क्यों कहा जा रहा है। लेकिन आम निवेशक के नजरिए से मुझे रोहित फेरो-टेक लिमिटेड एक चिरकुट कंपनी लगती है और उसका शेयर भी एकदम चिरकुट। वह भी तब, जब इसका ठीक पिछले बारह महीनोंऔरऔर भी

केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय के ताजा निर्णय से दक्षिण कोरिया की इस्पात कंपनी पॉस्को की उड़ीसा परियोजना का भविष्य एक बार फिर अधर में लटक गया है। लेकिन उड़ीसा सरकार को विश्वास है कि 52,000 करोड़ रुपए की यह परियोजना किसी न किसी दिन परवान जरूर चढ़ेगी। पर्यावरण मंत्रालय ने इस परियोजना के लिए वन संबंधी मंजूरी को रोक दिया है। उड़ीसा के इस्पात व उद्योग मंत्री रघुनाथ मोहंती का मानना है कि पॉस्को की यहऔरऔर भी