बजट में अर्थव्यवस्था या निवेश संबंधी ऐसा कुछ नहीं था कि शेयर बाजार दोपहर तक ठीकठाक बढ़त के बाद यूं धड़ाम हो जाता। एक करोड़ रुपए से ज्यादा आमदनी वालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाना कोई अनहोनी तो है नहीं। फिर भी निफ्टी 1.79 फीसदी की गिरावट के साथ 5693 पर पहुंच गया। असल में गिरावट की असली वजह है तथाकथित विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली। बजट में प्रावधान है कि एफआईआई को टैक्स से बचनेऔरऔर भी

इस बार के बजट में घोषित गार (जनरल एंटी एवॉयडेंस रूल) की ऐसी मार दुनिया की सबसे पुरानी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जानीमानी, टूर व ट्रैवेल कंपनी कॉक्स एंड किंग्स पर पड़ी है कि उसका शेयर हर दिन दबता ही चला जा रहा है। कल, 19 अप्रैल 2012 को उसने 139 रुपए पर 52 हफ्ते की नई तलहटी बना डाली। हो सकता है कि आज फिर नई तलहटी बन जाए। यह बजट आने के एक दिन पहले 15औरऔर भी

अगर बजट में घोषित आयकर कानून का प्रस्तावित संशोधन लागू कर दिया गया तो अब तक हुई सारी दोहरा कराधान बचाव संधियां (डीटीएए) निरस्त हो जाएंगी क्योंकि इन संधियों का मकसद ही खास परिस्थितियों में खास किस्म की आय को टैक्स की कम या शून्य दरों का फायदा देना है। भारत सरकार ने 82 देशों के साथ ऐसी संधियों पर दस्तखत कर रखे हैं। इनमें मॉरीशस ही नहीं, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, रूस, चीन, ब्रिटेन, बांग्लादेश और नेपालऔरऔर भी

देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का सबसे बड़ा स्रोत अब भी मॉरीशस बना हुआ है। चालू वित्त वर्ष 2011-12 में दिसंबर तक के नौ महीनों में आए 24.18 अरब डॉलर के एफडीआई में से 8.24 अरब डॉलर यानी करीब 34 फीसदी मॉरीशस से आया है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि मॉरीशस का पता दिखाने पर विदेशी कंपनियों को भारत से की गई कमाई पर टैक्स नहीं देना पड़ता। इसलिए एफडीआई के आंकड़ों से सही तस्वीरऔरऔर भी

सीधी रेखा नहीं, लहरों की तरह चलते हैं शेयरों के भाव। 4 अक्टूबर 2010 को हमने पहली बार जब यूं ही चलते-चलते ग्लेनमार्क फार्मा का जिक्र छेड़ा था, तब यह 311.70 रुपए पर था। करीब दो महीने बाद 7 दिसंबर 2010 को 389.75 रुपए के शिखर पर चला गया। लेकिन करीब ढाई महीने बाद ही 28 फरवरी 2011 को 241.60 रुपए की घाटी में जा गिरा। अभी 16 मई 2011 को हमारे चक्री भाई ने जब इसेऔरऔर भी

दोपहर तक चढ़ रहा बाजार बाद में गिर गया। निफ्टी 1.23 फीसदी बढ़त लेकर 5322.45 तक चला गया। लेकिन मंदड़ियों का हमला जारी रहा तो आखिर में महज 0.34 फीसदी की बढ़त के साथ 5275.85 पर बंद हुआ। लेकिन मुझे कोई भ्रम नहीं, कोई दुविधा नहीं। मंदड़ियों का हमला बाजार का रुख बदल सकता है, मेरी राय नहीं। मॉरीशस के मुद्दे को जरूरत से ज्यादा तान दिया गया। बाजार का हर खिलाड़ी इस हकीकत से वाकिफ हैऔरऔर भी

यूं एक ही दिन में किसी शेयर का आधे से भी कम भाव पर आ जाना अकारण नहीं होता। अगर 7 जनवरी 2009 को सत्यम कंप्यूटर का शेयर 84 फीसदी गिरकर 188.70 रुपए से 30.70 रुपए पर आया था तो इसलिए कि उसी दिन रामालिंगा राजू ने कंपनी में किए गए फ्रॉड की घोषणा की थी। लेकिन 20 जून 2011 को जीटीएल के साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था कि उसका शेयर 339.90 रुपए से 63.5औरऔर भी

भारत ने दुनिया के 79 देशों के साथ दोहरा कराधान बचाव संधि (डीटीएए) कर रखी है। इसमें मॉरीशस व स्विटजरलैंड शामिल हैं। संधि के तहत कंपनी का मूल पता जिस देश का है, वहीं उस पर कैपिटल गेन्स टैक्स लग सकता है। जहां से उसने कमाया है, वहां पर नहीं। हालांकि लाभांश, रॉयल्टी व ब्याज आय पर दोनों ही देशों में टैक्स लगता है। लेकिन टैक्स की दर लाभांश पर 7.5% और ब्याज व रॉयल्टी पर 10%औरऔर भी

तीन माह तक लगातार घटने के अप्रैल 2011 में देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 43 फीसदी बढकर 3.12 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इससे पिछले साल इसी माह देश में कुल 2.17 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ था। एक अधिकारी ने बताया कि एफडीआई के मौजूदा आंकड़े वैश्विक और विशेष रूप से यूरोपीय अर्थव्यवस्था में सुधार को दर्शाते हैं। इस दौरान देश में मुख्य रूप से मॉरीशस, सिंगापुर, अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, जापान, जर्मनी औरऔरऔर भी

शनिवार को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के नए चेयरमैन प्रकाश चंद्रा ने दिल्ली में बयान दिया कि मॉरीशस भारत के साथ दोहरा कराधान बचाव संधि (डीटीएए) में संशोधन पर विचार कर रहा है और दोनों पक्षों में जल्दी ही इसे ठोस रूप देने पर बैठक हो सकती है। रविवार को उनका यह बयान टाइम्स ऑफ इंडिया समेत कई अखबारों में छपा। हालांकि इसमें यह भी जोड़ दिया गया कि भारत अपने यहां लाभ कमानेवाली कंपनियों परऔरऔर भी