रिजर्व बैंक ने संकेत दिया है कि अब वह मौद्रिक नीति में नरमी ला सकता है। दूसरे शब्दों में ब्याज दरों में कमी कर सकता है। रिजर्व बैंक के गवर्नर दुव्वरि सुब्बाराव ने बीबीसी को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा, “यहां से हम मौद्रिक नीति को कड़ा करने की प्रक्रिया के पलटने की उम्मीद कर सकते हैं।”
बता दें कि रिजर्व बैंक मार्च 2010 के बाद से मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए 13 बार ब्याज दरें (रेपो व रिवर्स रेपो दर) बढ़ा चुका है। पिछले महीने 16 दिबंसर को मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा में उसने इन दरों को यथावत रखा था। अब तीसरी तिमाही की समीक्षा रिजर्व बैंक मंगलवार, 24 जनवरी को पेश करेगा। अगर सुब्बाराव के इशारों को समझा जाए तो उस दिन रेपो व रिवर्स रेपो दर में कम से कम चौथाई फीसदी की कमी की जा सकती है। इस समय ये दरें क्रमशः 8.5 व 7.5 फीसदी हैं।
इस बीच मुद्रास्फीति में गिरावट का क्रम शुरू हो गया है। खाद्य मुद्रास्फीति की दर तो अब घटकर 0.42 फीसदी पर आ गई है, जबकि सकल मुद्रास्फीति की दर नवंबर महीने में 9.11 फीसदी दर्ज की गई है। सुब्बाराव ने कहा कि हालांकि मुद्रास्फीति का जोखिम अब भी कायम है। लेकिन रिजर्व बैंक को अहसास है कि उसे दुनिया के अनिश्चित आर्थिक माहौल के बीच देश के आर्थिक विकास को आवेग देना है।
उन्होंने कहा, “हमने आम धारणा के विपरीत हमेशा विकास के सरोकारों की परवाह की है। वास्तव में हमें दिसंबर के नीति वक्तव्य में कहा है कि विकास गंभीर चिंता का मसला है। इसलिए मुझे लगता है कि 2012 में विकास और मुद्रास्फीति का संतुलन बदल जाएगा।” रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि हम मौद्रिक नीति में सख्ती की प्रक्रिया में बदलाव कर सकते हैं। लेकिन यह कहना मुश्किल है कि ऐसा कब होगा और किस तरीके से होगा।