एसटीटी घटा, सीटीटी लगा, सट्टेबाज़ी को हवा

सरकार ने शेयर बाजार को बढ़ावा देने के लिए इक्विटी फ्यूचर्स पर सिक्यूरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) 0.017 फीसदी से घटाकर 0.01 फीसदी कर दिया है। लेकिन कैश सेगमेंट या डिलीवरी वाले सौदों पर एसटीटी की मौजूदा दर 0.10 फीसदी को जस का तस रखा गया है। जानकार मानते हैं कि इससे शेयर बाज़ार में वास्तविक निवेश की जगह सट्टेबाज़ी को बढ़ावा मिलेगा। वैसे भी इस समय कैश सेगमेंट का कारोबार डेरिवेटिव सौदों के आगे कहीं नहीं टिकता। नए प्रस्ताव से यह स्थिति और बदतर हो जाएगी।

बता दें कि एसटीटी की शुरुआत 2004 में हुई थी और डिलीवरी वाले सौदों पर एसटीटी की दर 2011-12 तक 0.125 फीसदी थी, जिसे 2012-13 में तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने घटाकर 0.10 फीसदी कर दिया था। वित्त मंत्री चिदंबरम ने बजट घोषणा करते वक्त यह भी बताया कि अब एसटीटी की तरह कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (सीटीटी0 भी लगाया जाएगा। लेकिन इससे कृषि जिंसों को बाहर रखा गया है। उनका कहना था कि शेयर बाजार और कमोडिटी बाजार की डेरिवेटिव ट्रेडिंग के बीच कोई अंतर नहीं है। इसलिए सीटीटी लगाना वाजिब होगा। मालूम हो कि सीटीटी का प्रस्ताव शुरुआत में 2008 के बजट में लाया गया था। लेकिन प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सिफारिश के बाद इसे 2009 के बजट में हटा दिया गया।

चिदंबरम ने गुरुवार को कहा कि कमोडिटी डेरिवेटिव में ट्रेडिंग को ‘सटोरिया सौदा’ नहीं माना जाएगा। सीटीटी को कर छूट में शामिल किया जाएगा, बशर्ते ऐसे सौदों से हुई आय बिजनेस आय का हिस्सा है। अंतरराष्ट्रीय सलाहकार फर्म केपीएमजी के प्रतिनिधि दिनेश कनबर का कहना है कि म्यूचुअल फंडों के लिए एसटीटी का घटाया जाना बहुत ही सकारात्मक कदम है। हालांकि वे सीटीटी लगाने के तर्क से सहमत नहीं हैं।

बता दें कि वित्त वर्ष 2013-14 से म्यूचुअल फंड व ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) के लिए उन्हीं से रिडेम्पन कराने पर एसटीटी की दर 0.25 फीसदी की मौजूदा दर से घटाकर मात्र 0.001 फीसदी कर दी गई है। जबकि यह रिडेम्पन अगर एक्सचेंज के माध्यम से किया जाएगा तो एसटीटी की दर 0.10 फीसदी के मौजूदा स्तर से घटाकर 0.001 फीसदी कर दी गई है। यह टैक्स केवल बेचनेवाले को देना पड़ेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *