हिस्सा बेचने का हल्ला, जुगाड़ उनका

कितने लोग जानते हैं कि टीटीके प्रेस्टिज को हमने पांच साल पहले 90 रुपए पर खरीदने की सलाह दी थी। हफ्ते भर पहले यह 3200 रुपए पर था। इस स्टॉक को फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (एफ एंड ओ) में रखे जाने की कोई जरूरत नहीं थी। फिर भी इसे एफ एंड ओ में डाल दिया गया और मंदड़िए अब इसे अपना आसान शिकार बनाएंगे। जिनके पास भी यह स्टॉक बड़ी मात्रा में हैं, उन्होंने डिलीवरी के एवज में इसके फ्यूचर्स में शॉर्ट पोजिशन बनानी शुरू कर दी है। इसमें शॉर्ट सौदों का सिलसिला 3200 रुपए के आसपास शुरू हुआ।

बाजार में चर्चा है कि निवेशक 5000 रुपए से ज्यादा देने पर भी इस स्टॉक से निकलने को तैयार नहीं हैं। यह एक धीमा जहर है। अगर टाटा मोटर्स और मारुति चोटी से गिरकर नीचे आ सकते हैं तो इस स्टॉक को भी गिरने से नहीं रोका जा सकता। मेरी राय में यह गिरते-गिरते आखिरकार 1200 रुपए पर थमेगा जो इसका असली भाव है।

यही मामला वीआईपी इंडस्ट्रीज का है। इसे ज्यादा से ज्यादा ट्रेडिंग कंपनी कहा जा सकता है क्योंकि यह अपना अधिकांश सॉफ्ट लगेज चीन से मंगवाकर बेचती है। लेकिन अब इसके एफ एंड ओ में डेल्टा बन रहा है। यह शेयर बुक वैल्यू से चार गुना भाव पर ट्रेड हो रहा है। इधर बाजार में हल्ला उठाया गया कि इसकी इक्विटी हिस्सेदारी 1100 रुपए पर बेची जाएगी। ध्यान दें कि जेएसडब्ल्यू ने अपनी हिस्सेदारी जापानी कंपनी को 1350 रुपए की दर से बेची तो उसका स्टॉक धसक कर 650 रुपए पर आ गया था। इसलिए अच्छी तरह जान लें कि इक्विटी हिस्सा बेचने का शोर ऑपरेटरों के बाहर निकलने का फौरी जुगाड़ होता है।

सट्टा सरकार के लिए ज्यादा से ज्यादा टैक्स जुटाने का आसान जरिया बना रहेगा। यह आयकर विभाग के लिए आसान निशाना बनता है क्योंकि यहां भारी मात्रा में कैश का वारा-न्यारा होता है। एक बार ऑपरेटर बाहर निकल गए तो प्रवर्तक और ज्यादा खेल करने लगेंगे। नतीजतन कंपनी का लाभ गिरेगा और अंततः शेयर का भाव भी जमीन पर आ जाएगा। मेरा तो यही कहना है कि आप ऐसे शेयरों से संभल कर रहें। हालांकि इस समय तो वीआईपी इंडस्ट्रीज बाजार का चहेता बना हुआ है क्योंकि कुछ बड़े नाम इससे जुड़े हुए हैं। इसमें राकेश झुनझुनवाला की 6.43 फीसदी और सुधीर मोहनलाल जाटिया की 6.02 फीसदी हिस्सेदारी है।

कुछ साल पहले तक रीयल्टी सेक्टर भी इसी तरह सबकी निगाह में चढ़ा हुआ था। सारे ऑपरेटरों इस क्षेत्र की कंपनियों में घुसे पड़े थे। आज देख लीजिए कि इस सेक्टर का क्या हश्र है। हमने सेलन एक्सप्लोरेशन टेक्नोलॉजी को पांच साल पहले 17 रुपए पर पकड़ा था। इस साल जनवरी में 410 तक जाने के बाद अभी यह 345 रुपए के आसपास चल रहा है। एशियन ऑयल, डीसीएम व फिलाटेक्स इंडिया – ये तीनों कंपनियां भी इस समय बेहद दबे हुए मूल्य पर चल रही हैं। वे समय के साथ मल्टीबैगर बनेंगी। मेरी यह बात अगले दो सालों के लिए आप कहीं कट-पेस्ट करके रख लें।

बराबर कहा जाता है कि कभी नहीं पहुंचने से अच्छा है कि थोडी देर से पहुंच लिया जाए। इसी अंदाज में मेरा कहना है कि आपको या तो ऐसे स्टॉक्स खरीदने चाहिए जो अभी 5 से 15 तक के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहे हैं। अगर शेयर का चुनाव सही है तो आज नहीं तो कभी तो वह अपना सही मूल्य पकड़ेगा। या फिर, आप साफ-सुधरे प्रबंधन वाली पुरानी भरोसेमंद कंपनी की शरण में चले जाइए जो बाजार में तेजी आने पर आपको अच्छा रिटर्न देगी। ऐसी कुछ चुनिंदा कंपनियां हैं – मारुति, टाटा मोटर्स, टाटा पावर, टाटा स्टील, एसीसी, एसबीआई, गैल इंडिया, गुजरात स्टेट पेट्रोनेट, गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स व बीएचईएल। हो सकता है कि आज इनके शेयर बाजार से पीछे चलें, लेकिन इन्हें चुनकर आप भविष्य में कभी पछता नहीं सकते।

कोई भी स्टॉक अपेक्षाकृत अच्छे वोल्यूम और 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा के बाजार पूंजीकरण पर एफ एंड ओ में आ सकता है। हालांकि ऑपरेटरों का खेल खत्म होते ही इनमें वोल्यूम सूख जाता है। जिंदल एसडब्ल्यू होल्डिंग्स इसकी आदर्श मिसाल है। इसकी तो कोई मैन्यूफैक्चरिंग इकाई तक नहीं है। फिर भी एफ एंड ओ में यह स्टॉक 2300 रुपए से गिराकर 800 रुपए पर ले आया गया। क्या कमाल है!!!

खैर। बाजार में गिरावट का सिलसिला जारी है। सेंसेक्स आज 1.38 फीसदी गिरकर 17,693.18 पर तो निफ्टी 1.35 फीसदी गिरकर 5331.80 पर बंद हुआ है। हालांकि सुबह यह 5434.50 तक चला गया था। मेरा मानना है कि फिलहाल निफ्टी खुद को जमा रहा है और मैं अब भी इसके 5700 तक पहुंचने के अपने लक्ष्य पर बदस्तूर कायम हूं।

कभी-कभी किसी को उसकी गलती का अहसास दिलाने का सबसे अच्छा तरीका होता है कि वह जो करना चाहता है, उसे करने दिया जाए।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का फीस-वाला कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)

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