ब्याज ने नहीं, हमें सट्टेबाजी ने लूटा

अमेरिकी के एक अखबार में छपे लेख में बताया गया है कि चांदी में सट्टेबाजी क्या आलम है। यहां तक कि सट्टेबाजों के कहने पर वहां के कमोडिटी एक्सचेंज ने मार्जिन कॉल जारी करने में देर कर दी। इसके बाद भी चांदी में गिरावट आई तो सही, लेकिन काफी देरी के बाद। भारत की बात करें तो यहां भी सट्टेबाजी सिर चढ़कर बोल रही है। इसमें कोई शक नहीं कि रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति की गंभीर अवस्था से निपटने के लिए आर्थिक विकास की कीमत पर कड़े कदम उठाने की घोषणा की है। लेकिन यह तो बाजार को पहले से पता था।

यहां तक कि तमाम एफआईआई ब्रोकिंग हाउस पहले ही रिजर्व बैंक के संभावित कदमों पर विस्तृत रिपोर्ट जारी कर चुके थे। इसके बावजूद बाजार के उस्तादों ने मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद बिकवाली शुरू कर दी। बगैर किसी चौंकानेवाले कदम के यह सायास बिकवावी केवल शॉर्ट सेलर्स को फंसाने और बाजार पर काबू पाने के लिए की गई क्योंकि यहां डेरिवेटिव सौदों में कोई फिजिकल सेटलमेंट नहीं है।

जैसा कि अपेक्षित था, बाजार ने 5503 तक गिरने के बाद यू-टर्न ले लिया और 5580 तक चला गया। लग रहा था कि यह आज 5600 तक चला जाएगा। लेकिन यह बाद में 5540 के आसपास आकर ठहर गया। यह गिरावट असल में ब्याज दरों को 50 आधार अंक (0.50 फीसदी) बढ़ाने का नहीं, बल्कि निफ्टी में एफआईआई और एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल्स) की तरफ से की जा रही सट्टेबाजी का नतीजा है। अब इसी बाजार और इसी सेटलमेंटमें हम निफ्टी को 6000 तक जाता देख सकते हैं और इस बीच 50 आधार अंकों की वृद्धि कोई मायने नहीं रखेगी। बाजार को शनिवार को एक और ट्रिगर का इंतजार है क्योंकि उस दिन पेट्रोल के दाम बढ़ाए जा सकते हैं।

ऐसे में लगता यही है कि अगले हफ्ते से बाजार का राग यही रहनेवाला है कि सब कुछ ठीक है। बीएसई में फिजिकल सेटलमेंट लागू करने का न तो कोई असर है और न ही कोई मतलब है क्योंकि वहां फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (एफ एंड ओ) में कोई वोल्यूम ही नहीं है। एनएसई फिजिकल सेटलमेंट शुरू नहीं करने जा रहा। इसलिए एफ एंड ओ में खुद को शहीद करने के अलावा आपके पास कोई चारा नहीं है। दूसरी तरफ समुचित कैश बाजार के अभाव में निवेशक आसानी से लौटकर आनेवाले नहीं हैं।

इसलिए इंतजार कीजिए। तेल देखिए और तेल का धार देखिए। केवल उन्हीं स्टॉक्स में निवेश कीजिए जिनके बारे में आपको भरोसा है कि उनका मुनाफा दुरुस्त है और वे उद्योग के औसत पी/ई अनुपात से कम पर ट्रेड हो रहे हैं। सेक्टरों व कंपनियों को डाउनग्रेड करना तो आज बाजार का फैशन बन गया है। हमने छह महीने पहले बैंकिंग व ऑटो सेक्टर की स्थिति भांप ली थीं और इनसे निकलने या बचने की सलाह दी थी। लेकिन तब कोई भी ब्रोकिंग हाउस या एफआईआई बेचने की रिपोर्ट लेकर नहीं आया क्योंकि उस समय वे ओवरबॉट स्थिति में थे। अब चूंकि वे खुद बेच रहे हैं तो इन सेक्टरों को डाउनग्रेड कर दिया।

आप जो हैं, जैसे हैं, उसी को अपनी ताकत बनाइये। जबरदस्ती दूसरों जैसा बनने की कोशिश करेंगे तो मुंह की खाएंगे। न घर के रहेंगे, न घाट के।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का paid कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)

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